Book Title: Dhaturatnakar Part 4
Author(s): Lavanyasuri
Publisher: Rashtriya Sanskrit Sansthan New Delhi

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Page 508
________________ नामधातुप्रक्रिया (णिप्रत्ययान्त) 495 विश्वसृजमाचष्टे इति विश्वसयति। ३ नत्रय- तु/तात्, ताम्, न्तु। :/तात्, तम्, त। आनि, आव, १४८ विश्वसि-धातोरूपाणि॥ आम।। ४ अनञय-त्, ताम्, न्। :, तम्, त। म्, आव, आम।। १ विश्वसय-ति, तः, न्ति। सि, थः, थ। आमि, आवः, ५ अनीनज-त्, ताम्, न्। :, तम्, त। म्, आव, आम।। आमः।। ६ नजया-अकार, इ०।। म्बभूव, इ० ।। मास, इ० ।। २ विश्वसये- त्, ताम्, युः। :, तम्, त। यम्, व, म।। ७ नज्या-त्, स्ताम्, सुः। :, स्तम्, स्त, । सम्, स्व, स्म।। ३ विश्वसय- तु/तात्, ताम्, न्तु।:/तात्, तम्, त। आनि, | ८ नजयिता-", रौ, र: । सि, स्थः, स्थ। स्मि, स्वः, स्मः ।। आव, आम।। ९ नजयिष्य- ति, तः, न्ति। सि, थः, थ। आमि, आव: ४ अविश्वसय-त्, ताम्, न्। :, तम्, त। म्, आव, आम।। आमः।। ५ अविविश्ववस- त्, ताम्, न्। :, तम्, त। म्, आव, आम।। १० अनञयिष्य-त्, ताम्, न्। :, तम्, त। म्, आव, आम।। ६ विश्वसया- ञ्चकार, इ० ।। म्बभूव, इ०।। मास, इ०।। मतान्तरे नाव्यतीत्यादि।। ७ विश्वस्या-त्, स्ताम्, सुः। :, स्तम्, स्त, । सम्, स्व, स्म।। अटतीति अट्, तमाचष्टे इति अटयति, मतान्तरे आटयति। ८ विश्वसयिता-", रौ, र:। सि, स्थः, स्थ। स्मि, स्वः, स्मः।। ९ विश्वसयिष्य- ति, तः, न्ति। सि, थः, थ। आमि, आव: १५१ अटि-धातोरूपाणि।। आमः।। १ अटय-ति, तः, न्ति। सि, थः, थ। आमि, आवः, आमः।। १० अविश्वसयिष्य- त्, ताम्, न्। :, तम्, त। म्, आव, आम।। | २ अटये- त्, ताम्, युः। :, तम्, त। यम्, व, म।। मतान्तरे विश्वासयतीत्यादि।। ३ अटय- तु/तात्, ताम्, न्तु।:/तात्, तम्, त। आनि, आव, उज्झमाचष्टे इति उज्झयति। आम।। १४९ उज्झि-धातोरूपाणि।। ४ आटय-त्, ताम्, न्। :, तम्, ताम्, आव, आम।। ५ आटिट- त्, ताम्, न्। :, तम्, त। म्, आव, आम।। १ उज्झय-ति, त:, न्ति। सि, थः, थ। आमि, आवः, आमः ।। ६ अटया- ञ्चकार, इ०।। म्बभूव, इ०।। मास, इ०।। २ उज्झये-त्, ताम्, युः। :, तम्, त। यम्, व, म।। ७ अट्या-त्, स्ताम्, सुः। :, स्तम्, स्त, । सम्, स्व, स्म।। ३ उज्झय- तु/तात्, ताम्, न्तु।:/तात्, तम्, त। आनि, आव, | ८ अटयिता-", रौ, रः। सि, स्थः, स्थ। स्मि, स्वः, स्मः।। आम॥ ९ अटयिष्य- ति, तः, न्ति। सि, थः, थ। आमि, आव: ४ औज्झय-त्, ताम्, न्। :, तम्, त। म्, आव, आम।। आमः ।। ५ औज्जिझ- त्, ताम्, न्। :, तम्, त। म्, आव, आम।। १० आटयिष्य-तु, ताम्, न्।:, तम्, ताम्, आव, आम।। ६ उज्झया- ञ्चकार, इ०।।म्बभूव, इ०।। मास, इ०।। पठतीति पट्, तमाचष्टे इति पठयति मतान्तरे पाठयति। ७ उज्झया- त्, स्ताम्, सुः। :, स्तम्, स्त,। सम्, स्व, स्म।। १५२ पठि-धातोरूपाणि।। ८ उज्झयिता-",रौ, र:। सि, स्थः, स्थ। स्मि, स्वः, स्मः।। | १ पठय-ति, तः, न्ति। सि, थः, थ। आमि, आवः, आमः ।। ९ उज्झयिष्य- ति, तः, न्ति। सि, थः, थ। आमि, आव: २ पठये- त्, ताम्, युः। :, तम्, त। यम्, व, म।। आमः।। ३ पठय- तु/तात्, ताम्, न्तु।:/तात्, तम्, त। आनि, आव, १० औज्झयिष्य- त्, ताम्, न्। :, तम्, त। म्, आव, आम।। आम।। . नजमाचष्टे इति नत्रयति। ४ अपठय-त्, ताम्, न्। :, तम्, त। म्, आव, आम।। १५० नजि-धातोरूपाणि।। ५ अपीपठ-त्, ताम्, न्। :, तम्, ताम्, आव, आम।। १ नजय-ति, त:, न्ति। सि, थः, थ। आमि, आवः, आमः ।। ६ पठया- ञ्चकार, इ०।। म्बभूव, इ० ।। मास, इ० ।। २ नत्रये- त्, ताम्, युः। :, तम्, त। यम्, व, म।। ७ पठ्या-त्, स्ताम्, सुः। :, स्तम्, स्त, । सम्, स्व, स्म।। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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