Book Title: Dhaturatnakar Part 4
Author(s): Lavanyasuri
Publisher: Rashtriya Sanskrit Sansthan New Delhi

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Page 515
________________ 502 धातुरत्नाकर चतुर्थ भाग राजानमाचष्टे इति राजयति। १ सुखय-ति, तः, न्ति। सि, थः, थ। आमि, आव:, आमः।। १७५ राजि-धातोरूपाणि।। २ सुखये- तु, ताम्, युः। :, तम्, त। यम्, व, म।। १ राजय-ति, तः, न्ति। सि, थः, थ। आमि, आव:, आमः।। ३ सुखय- तु/तात्, ताम्, न्तु।:/तात्, तम्, त। आनि, आव, आम।। २ राजये- तु, ताम्, युः। :, तम्, त। यम, व, म।। ४ असुखय-त्, ताम्, न्। :, तम्, त। म्, आव, आम।। ३ राजय- तु/तात्, ताम्, न्तु। :/तात्, तम्, त। आनि, आव, | ५ असुसुख-त्, ताम्, न्।:, तम्, ताम्, आव, आम।। आम।। ६ सुखया- कार, इ०।। म्बभूव, इ० ।। मास, इ०।। ४ अराजय-त्, ताम्, न्। :, तम्, त। म्, आव, आम।। ७ सुख्या- त्, स्ताम्, सुः। :, स्तम्, स्त,। सम्, स्व, स्म।। ५ अरराज-त्, ताम्, न्।:, तम्, त। म्, आव, आम।। ८ सुखयिता-", रौ, रः। सि, स्थः, स्थ। स्मि, स्वः, स्मः।। ६ राजया-ञ्चकार, इ० ।। म्बभूव, इ०।। मास, इ० ।। ९ सुखयिष्य- ति, तः, न्ति। सि, थः, थ। आमि, आव: ७ राज्या-त्, स्ताम्, सुः। :, स्तम्, स्त, । सम्, स्व, स्म।। आमः।। ८ राजयिता-", रौ, र:। सि, स्थः, स्थ। स्मि, स्वः, स्मः।। | १० असुखयिष्य-त, ताम्, न्। :, तम्, ताम्, आव, आम।। ९ राजयिष्य- ति, तः, न्ति। सि, थः, थ। आमि, आव: मतान्तरे सुखिनो णिचोऽनभिधानम्।। आमः।। स्वामिनमाचष्ट इति स्वामयति। १० अराजयिष्य-त्, ताम्, न्। :, तम्, ताम्, आव, आम।। ५ अरराजत्। समानलोपित्वान्न ह्रस्वः सन्वत्कार्यं च।। १७८ स्वामि-धातोरूपाणि।। श्वानमाचष्टे इति श्वनयति। १ स्वामय-ति, तः, न्ति। सि, थः, थ। आमि, आव:, आमः।। १७६ श्वानि-धातोरूपाणि।। २ स्वामये- त्, ताम्, युः। :, तम्, त। यम्, व, म।। ३ स्वामय- तु/तात्, ताम्, न्तु। :/तात्, तम्, त। आनि, १ श्वनय-ति, तः, न्ति। सि, थः, थ। आमि, आवः, आमः।। .आव, आम।। २ श्वनये- त्, ताम्, युः। :, तम्, त। यम्, व, म।। ४ अस्वामय-त्, ताम्, न्। :, तम्, त। म्, आव, आम।। ३ श्वनय- तु/तात्, ताम्, न्तु।:/तात्, तम्, त। आनि, आव, | | ५ असस्वाम-त्, ताम्, न्। :, तम्, ताम्, आव, आम।। आम।। ६ स्वामया- ञ्चकार, इ० ।। म्बभूव, इ० ।। मास, इ० ।। ४ अश्वनय-त्, ताम्, न्। :, तम्, त। म्, आव, आम।। ७ स्वास्या- त्, स्ताम्, सुः। :, स्तम्, स्त, । सम्, स्व, स्म।। ५ अशिश्वन- त्, ताम्, न्। :, तम्, त। म्, आव, आम।। ८ स्वामयिता-", रौ, रः। सि, स्थः, स्थ। स्मि, स्वः, स्मः।। ६ श्वनया-ञ्चकार, इ० ।। म्बभूव, इ०।। मास, इ०।। ९ स्वामयिष्य- ति, तः, न्ति। सि, थः, थ। आमि, आव: ७ श्वन्या-त्, स्ताम्, सुः।:, स्तम्, स्त, । सम्, स्व, स्म।। आमः।। ८ श्वनयिता-", रौ, र:। सि, स्थः, स्थ। स्मि, स्वः, स्मः।। १० अस्वामयिष्य-त्, ताम्, न्। :, तम्, ताम्, आव, आम।। असस्वामत्, इत्यत्र समानलोपित्वान ह्रस्वः सन्वत्कार्यं च। ९ श्वनयिष्य- ति, तः, न्ति। सि, थः, थ। आमि, आव: स्रग्विणमाचष्ट इति सजयति। आमः।। १७९ स्रजि-धातोरूपाणि।। १० अश्वनयिष्य- त्, ताम्, न्। :, तम्, त। म्, आव, आम।। श्वानयतीत्यादीनीति नागेशानुयायिनः। केषाश्चिन्मते | १ स्रजय-ति, तः, न्ति। सि, थः, थ। आमि, आवः, आमः।। शावयतीत्यादीनि, अन्येषां मते शुनयतीत्यादीनि।। | २ स्रजये- त्, ताम्, युः। :, तम्, त। यम्, व, म।। सुखिनं करोतीति सुखयति। ३ स्रजय- तु/तात्, ताम्, न्तु।:/तात्, तम्, त। आनि, आव, आम।। १७७ सुखि-धातोरूपाणि॥ | ४ अस्रजय-त्, ताम्, न्। :, तम्, त। म्, आव, आम।। www.jainelibrary.org Jain Education International For Private & Personal Use Only

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