Book Title: Dhaturatnakar Part 4
Author(s): Lavanyasuri
Publisher: Rashtriya Sanskrit Sansthan New Delhi

View full book text
Previous | Next

Page 495
________________ 482 धातुरत्नाकर चतुर्थ भाग ४ अगरय-त्, ताम्, न्। :, तम्, त। म्, आव, आम।। | ८ प्रथयिता-", रौ, रः। सि, स्थः, स्थ। स्मि, स्वः, स्मः ।। ५ अजीगर- त्, ताम्, न्। :, तम्, त। म्, आव, आम।। | ९ प्रथयिष्य- ति, तः, न्ति। सि, थः, थ। आमि, आव: ६ गरया-ञ्चकार, इ०।। म्बभूव, इ० ।। मास, इ०।। आमः।। ७ गर्या- त्, स्ताम्, सुः। :, स्तम्, स्त,। सम्, स्व, स्म।। १० अप्रथयिष्य-त्, ताम्, न्। :, तम्, ताम्, आव, आम।। ८ गरयिता-", रौ, रः। सि, स्थः, स्थ। स्मि, स्वः, स्मः।। "पृथुमृदु०" (७,४,३९) इति ऋकारस्य र:। "जातिश्च ९ गरयिष्य- ति, तः, न्ति। सि, थः, थ। आमि, आव: | णि." (३,२,५१) इति पुंवद्भावः। त्र्यन्त्यस्वरादेरित्यन्त्यआमः।। स्वरलोपश्च मतान्तरे ५० अपप्रथ-त्।। १० अगरयिष्य- तु, ताम्, न्।:, तम्, त। म्, आव, आम।। बह्वीमाचष्टे इति भूययति। "प्रियस्थिर०" (७,४,३८) इति गर् आदेशः ।। ९८ भूयि-धातोरूपाणि।। पट्वीमाचष्टे करोति वा पटयति। १ भूयय-ति, तः, न्ति। सि, थः, थ। आमि, आवः, आमः ।। ९६ पटि-धातोरूपाणि॥ २ भूयये- त्, ताम्, युः। :, तम्, त। यम्, व, म।। १ पटय-ति, तः, न्ति। सि, थः, थ। आमि, आवः, आमः।। ३ भूयय- तु/तात्, ताम्, न्तु। :/तात्, तम्, त। आनि, आव, २ पटये- त्, ताम्, युः। :, तम्, त। यम्, व, म।। आम॥ ३ पटय- तु/तात्, ताम्, न्तु।:/तात्, तम्, त। आनि, आव, ४ अभूयय-त्, ताम्, न्। :, तम्, त। म्, आव, आम।। आम।। ५ अबुभूय-त्, ताम्, न्। :, तम्, त। म्, आव, आम।। ४ अपटय-त्, ताम्, न्। :, तम्, त। म्, आव, आम।। ६ भूयया- कार, इ०।। म्बभूव, इ०।। मास, इ०।। ५ अपीपट- त्, ताम्, न्। :, तम्, त। म्, आव, आम।। ७ भूय्या-त्, स्ताम्, सुः। :, स्तम्, स्त, । सम्, स्व, स्म।। ६ पटया-ञ्चकार, इ० ।। म्बभूव, इ० ।। मास, इ० ।। भूययिता-", रौ, रः। सि, स्थः, स्थ। स्मि, स्वः, स्मः।। ७ पट्या-त, स्ताम, सः। :, स्तम. स्त.। सम. स्व. स्म।। | ९ भूययिष्य- ति, तः, न्ति। सि, थः, थ। आमि, आव: ८ पटयिता-", रौ, र:। सि, स्थः, स्थ। स्मि, स्वः, स्मः।। आमः।। ९ पटयिष्य- ति, तः, न्ति। सि, थः, थ। आमि, आवः | १० अभूययिष्य- त्, ताम्, न्। :, तम्, त। म्, आव, आम।। आमः।। "बहोर्णीष्ठे भूय" (७,४,४०) इति भय आदेशः। मतान्तरे १० अपटयिष्य-त्, ताम्, न्। :, तम्, ताम्, आव, आम।। बहयति। अन्ये तु भावयतीत्यादीन्येव रूपाणि मन्यन्ते।। "जातिश्च णि०' (३,२,५१) इति पुंवत्त्वे वृद्धौ मृद्वीमाचष्टे करोति वा मृदयति। अन्त्यस्वरादिलोपे पटयति। ९९ प्रदि-धातोरूपाणि॥ पृथ्वीमाचष्टे करोति वा प्रथयति। | १ प्रदय-ति, त:, न्ति। सि, थः, थ। आमि, आव:, आमः ।। ९७ प्रथि-धातोरूपाणि॥ २ प्रदये- त्, ताम्, युः। :, तम्, त। यम्, व, म।। १ प्रथय-ति, तः, न्ति। सि, थः, थ। आमि, आवः, आमः।।। | ३ प्रदय- तु/तात्, ताम्, न्तु। :/तात्, तम्, त। आनि, आव, २ प्रथये- त्, ताम्, युः। :, तम्, ता यम्, व, म।। आमः ३ प्रथय- तु/तात्, ताम्, न्तु। :/तात्, तम्, त। आनि, आव, ४ अम्रदय-त्, ताम्, न्। :, तम्, त। म्, आव, आम।। आम॥ ५ अमिम्रद-त्, ताम्, न्। :, तम्, त। म्, आव, आम।। ४ अप्रथय-त्, ताम्, न्। :, तम्, त। म्, आव, आम।। ६ प्रदया- कार, इ०।। म्बभूव, इ०।। मास, इ०।। ५ अपिप्रथ-त्, ताम्, न्। :, तम्, त। म्, आव, आम।। ७ नद्या-त्, स्ताम्, सुः। :, स्तम्, स्त,। सम्, स्व, स्म।। ६ प्रथया-ञ्चकार, इ० ।। म्बभूव, इ० ।। मास, इ० ।। | ८ प्रदयिता-", रौ, र: । सि, स्थः, स्थ। स्मि, स्वः, स्मः ।। ७ प्रथ्या-त्, स्ताम्, सुः।:, स्तम्, स्त,। सम्, स्व, स्म।। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 493 494 495 496 497 498 499 500 501 502 503 504 505 506 507 508 509 510 511 512 513 514 515 516 517 518 519 520 521 522