Book Title: Dharm aur Uske Dhyey ki Pariksha
Author(s): Sukhlal Sanghavi
Publisher: Z_Dharma_aur_Samaj_001072.pdf

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Page 4
________________ धर्म और उसके ध्येयकी परीक्षा समाज पुरुष एक साथ या क्रमसे किये हुए एकसे अधिक विवाहको तो अधर्म नहीं समझता परन्तु पालनेमें झूलती हुई बाल विधवा मात्रसे ही काँप उठता है | एक कौम, हो सके वहाँ तक, दूरके धर्म समझती है तो दूसरी कौम, हो सके वहाँ तक नजदीक के खानदान में शादी करना श्रेष्ठ समझती है । एक समाज धर्मदृष्टिसे पशु वधका तो दूसरा उसी दृष्टिसे उसका विरोध करता है । पुनर्विवाह के नाम गोत्र में विवाह करना समर्थन करता है ( ३ ) कुछ प्रथायें ऐसी हैं जिनका सम्बन्ध समस्त जनताके साथ होते हुए भी उनकी धार्मिकता के विषय में तीव्र मतभेद उपस्थित होता है । इस समय किसी प्रत्यक्ष आक्रमणकारी दुश्मनका धावा सौभाग्यसे या दुर्भाग्य से नहीं हो रहा है – अतः दुश्मनों को मारनेमें धर्म है या अधर्म है, इस विषयको चर्चा ब्रिटिश गवर्नमेंटने बन्द करके हमारा समय बचा दिया है, फिर भी प्लेगदेव जैसे रोगोंका आक्रमण तो होता ही है । उस समय इस रोगके दूत चूहों को मारने में कोई सार्वजनिक हितकी दृष्टिसे धर्म समझता है, और कोई अधर्म मानता है । जहाँ बाघ, सिंह वगैरह हिंसक प्राणियों या क्रूर जन्तुओंका उपद्रव होता है, वहाँ भी सार्वजनिक हितकी दृष्टिसे उनका संहार करने में धर्माधर्मका प्रश्न खड़ा हो जाता है । एक वर्ग सार्वजनिक हितकी दृष्टिसे किसी भी जलाशय या आम रास्तेको मल मूत्र आदिसे बिगाड़ने में पाप मानता है, तो दूसरा वर्ग इस विषय में केवल तटस्थ ही नहीं रहता बल्कि विरोधी व्यवहार करता है जिससे मालूम पड़ता है कि मानो वह उसमें धर्म समझता है । ३५ यहाँ तो थोड़ेसे ही नमूने दिये गये हैं परन्तु अनेक तरहके छोटे बड़े क्रियाकांडों के अनेक भेद हैं जिनसे एक वर्ग बिलकुल धर्म मान कर चिपटे रहनेका आग्रह करता है तो दूसरा बर्ग क्रियाकांडोंको बन्धन समझ कर उनको उखाड़ फेंकने में धर्म समझता है । इस प्रकार हरेक देश, हरेक जाति और हरेक समाज में बाह्य विधि-विधानों और बाह्य आचारोंके विषय में उनके धर्म होने या न होनेकी दृष्टिसे बेशुमार मतभेद हैं । इस लिए प्रस्तुत परीक्षा उपर्युक्त मतभेदों के विषयपर ही चर्चा करनेकी है । हमने यह तो देखा है कि इन विषयोंमें अनेक मतभेद हैं और वह घटते बढ़ते रहते हैं । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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