Book Title: Dev Dravya ka Shastrartha Sambandhi Patra Vyavahar
Author(s): 
Publisher: Muni Manisagar

View full book text
Previous | Next

Page 70
________________ [२१] इसी तरह संघ पूजा आरती वगैरह कार्योंके चढावे का आदेश देता है: उससे भक्तिके व अनुमोदना के लाभका भागी हो सकता है, मगर उस द्रव्य का मालिक कभी नहीं हो सकता. ३७ अगर कहा जाय कि-पहिली पूजा आरतीके ऊपर अपना. हक्क जमाने के लिये चढावा बोलते हैं, इसलिये उसके द्रव्यके ' साथ भगवान्का कोई संबंध नहीं हो सकता, ऐसा कहना भी प्रत्यक्ष ही झूठ है. देखो-चढावा लेनेवाले भगवान्की पहिली भक्तिका लाभ लेने के इरादेसे ही चढावा लेते हैं. यद्यपि भगवान्की पूजा. आरतीमें लाभ तो है ही मगर पर्वके दिवसोंमें चहावा लेकर पहिली पूजा आरती करने वालोंके विशेष अधिक शुभ भाव होते हैं. अपने मनमें विचार करते हैं कि आज हमारे अहोभाग्य हैं, इतने बडे बडे आदमी मौजूद होनेपरभी प्रभुकी.पहिली पूजा आरती का लाभ हमको मिला. इसलिये आज हमारे भाग्य खुले, भगवान्की हमारे ऊपर बडी भारी कृपा हुई, आज हमारे दुःख, दरिद्र, रोग, शोकादिक सब गये, हमारी आत्मा पवित्र हुई. इत्यादि शुभ भावना. चढावा लेकर पहिली पूजा आरती करने से ही बढती है. और कारण से कार्य होता है. इसलिये चढावा लेकर पूजा करनेसे भगवान्की भक्ति के, देवद्रव्यकी वृद्धिके व विशेष विशुद्ध भाव चढनेसे महान् निर्जराके बडे बडे लाभ मिलते हैं, और आत्म शुद्धिके, मोक्ष प्राप्तिके परम कल्याणरूप उत्कृष्ठ हेतु हैं मगर अपना हक्क जमानेका हेतु नहीं. इसलियेःचढावेके द्रव्यके साथ खास भगवान्काही संबंध है और हक्क जमाकर कोई जागीरी नहीं.लेना है किन्तु भक्ति से भगवान्को अपना द्रव्य अर्पण करना है. तिसपरभी हक जमाने के नामसे भोले लोगोंको बहकाना अनुचित है...... . ३८ . देखादेखी की हरीफाई के नामसे पूजा, आरतीके चढावेके । द्रव्यको देवद्रव्य से निषेध करना यहभी बडी भूल है: क्योंकि देखिये-- अपने नामके स्वार्थ के लिये पुस्तक छपवाने के लिये ' या :कोईमी

Loading...

Page Navigation
1 ... 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96