Book Title: Deepratnasagarji ki 585 Sahitya Krutiya ke 31 Folders ka Parichay
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Dipratnasagar, Deepratnasagar
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Folder - 15
आयारो मूलं एवं वृत्तिः आगमसूत्राणि सटीकं 1 (प्रताकार) Net
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नमो नमो निम्मलदंसणस्स
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मनि दीपरत्नसागर (M.COM Ph.D) कुल किताबें ⇒51 भाषा - प्राकृत, संस्कृत कुल पृष्ठ 17992
इस पन्नरसवे फोल्डर में हमने 51 प्रकाशनों को सम्मिलित किया है जिस में 45 आगम, 2 वैकल्पिकआगम, 3 पयन्नाओ की टीका और कल्प ( बारसा) सूत्र है पूज्य आगमोद्धारक आचार्य श्री सागरानंदसूरीश्वरजी ने आगमो की वृत्ति, चूर्णि, भाष्य, निर्युक्ति आदि भी संपादित किए है । हमने सोचा की वो प्रत/ पोथीयुग था, अब पुस्तक- युग है, वो 'प्रिन्टिंग' का ज़माना था अब 'इंटरनेट' की बोलबाला है, हमने सोचा चलो फिर इस प्रतो को A-4 साईझ के पुस्तक रूपमें तबदील करके, इन की उपयोगिता बढ़ाकर Net publication के रूप में रख दे |
फिर हमने एक विशेष फोर्मेट बनाया, ऊस के बिच में मूल प्रतके एक एक पृष्ठ अलग-अलग रख दिए. फिर जो आगम संपादित हो रहा हो, उसके प्रत्येक पेज पर ऊस आगम का क्रम आगम का नाम, आगम का प्रकार, आगमप्रकार का क्रम हमने लिख दिए, ऊस लाइन के नीचे ऊस आगम का जो श्रुतस्कंध, अध्ययन, उद्देश, सूत्र/गाथा, निर्युक्ति आदि उस पेज पे चल रहे हो, वे सभी अंको को प्रत्येक पेज पर लिख दिए, बायीं तरफ प्रत सूत्रांक और 'दीपरत्न' सूत्रांक लिख दिए, ऊस प्रतमें कोई विशेष विषयवस्तु हो, अध्ययनादि की सूचना हो या मुद्रणदोष हो तो उसे नीचे फूटनोट में लिख दिए । बाद में मल्टीकलर में वो सब मेटर net पे रख दिया | आप इसे इंटरनेट पर 'www.jainelibrary.org' खोलकर, search में जा कर Deepratnasagar लिखिए और पाइए मेरे सभी प्रकाशन 'टोटल फ्री' |
ये एक net-publication है जिसे कोई भी फ्री डाउनलोड कर शकता है |
मुनि दीपरत्नसागर
Muni DeepratnaSagar's 585 Books [1,03,130 Pages]
Email: jainmunideepratnasagar@gmail.com
. कृतियाँ के 31 फोल्डर्स का परिचय
Mobile: +91-9825967397
दीपरत्नसागर की 585 साहित्य.......
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