Book Title: Deepratnasagarji ki 585 Sahitya Krutiya ke 31 Folders ka Parichay
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Dipratnasagar, Deepratnasagar

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Page 26
________________ અભિનવ ઉપદેશ પ્રસાદ-૨ મુનિ દીપર સા नमो नमो निम्मलदंसणस्स Folder - 23 व्याम्यान साहित्य print | कुल किताबें 4 भाषा- गुजराती कुल पृष्ठ 1218 નવપદ શ્રીપાલ મુનિ દીપનસા इस तेईसवें फोल्डर में व्याख्यान विषयक चार ग्रंथ पाए जाते हैं, ये चारो मुद्रित प्रकाशन है → [13] खलिनवहेशप्रा साह, [4] नवयह- श्रीपाल | ये चारो किताबे 8.75 x 5.75 की साईझ में मुद्रित करवाई है | 'अभिनव उपदेश प्रासाद' स्वतंत्र व्याख्यानमाला है, हमने तीन विभागों में इस व्याख्यान श्रेणी का प्रकाशन करवाया है, 'मन्नह जिणाणं' नामक सज्झाय में निर्दिष्ट श्रावक के 36 कर्तव्यो को समझाने के लिए हमने 108 व्याख्यानों की एक शृंखला का सर्जन किया है, जिसमें प्रत्येक व्याख्यान का आरंभ एक श्लोक से होता है । सभी व्याख्यानों में जैनेतर प्रसंग, कर्तव्य की तात्त्विक समझ, जैन कथा/दृष्टांत, कर्तव्य के अनुरूप स्तवनादि की पंक्ति इत्यादि की सुंदर संकलना की गई है । प्रत्येक व्याख्यान Fix 10-10 पृष्ठों में विभाजित है । आज तक इस प्रकार से कोई भी व्याख्यान शृंखला प्रकाशित नहीं हुई । I जिन साधु-साध्वी का क्षयोपशम मंद हो या किसी कारण से वे शास्त्रीय व्याख्यान देने में असमर्थ हो, तो उनके लिए ये व्याखान- संग्रह पूरा चातुर्मास बिताने के लिए एक बड़ा तोहफा है | चौथा व्याख्यान-प्रकाशन 'नवपद श्रीपाल' है, इस का सर्जन शाश्वती ओळी के व्याख्यान के लिए हुआ था, जिस में हमने पूरा श्रीपाल चारित्र और अरिहंता नव- पदो का अलग-अलग विवेचन किया है अर्थात् कथा और तत्त्व का संकल करके नव व्याख्यानों की एक शृंखला बनाई है, जो ओळीजी की आराधना के प्रवचन एवं नवपदों को समझने के साथ-साथ पूरे श्रीपाल चरित्र का सार जानने में उपयोगी है | मुनि दीपरत्नसागर.. Muni DeepratnaSagar's 585 Books [1,03,130 Pages] Email: jainmunideepratnasagar@gmail.com Mobile: +91-9825967397 दीपरत्नसागर की 585 साहित्य Page 26 of 36 .. कृतियाँ के 31 फोल्डर्स का परिचय

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