Book Title: Darshanshuddhi Prakaranam Aparnam Samyaktva Prakaranam
Author(s): Vijaykirtiyashsuri
Publisher: Sanmarg Prakashan
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दर्शनशुद्धिप्रकरणम् - सम्यक्त्वप्रकरणम्
जा संजमया जीवेसु० ।।१७४।। , सव्वजिणाणं निच्चं० ।।१७५।। + गुरुगुणरहिओ य इह० ।।१७६।। --
संबोधप्रकरणे-८५२ पञ्चाशके-११/३५* गुरुतत्त्वविनिश्चये-१/१७०* यतिलक्षणसमुच्चये-१७९ द्वादशकुलके-४/१३ द्वादशकुलके-४/१४
[
]
कालाइदोसओ जइवि० ।।१७७।। , कुग्गह कलंकरहिया० ।।१७८।। - अज्जवि तिन्नपइन्ना० ।।१७९।। - अज्जवि तवसुसियंगा० ।।१८० ।। → अज्जवि दयसंपन्ना० ।।१८१।। - अज्जवि दयखंतिपइट्ठियाइं० ।।१८२।। , इइ जाणिऊण एयं० ।।१८३।। , ता तुलियनियबलाणं० ।।१८४ ।। , लाहालाह-सुहासुह० ।।१८५।। वंदिज्जंतो हरिसं० ।।१८६।। , वंदामि तवं तह संजमं च० ।।१८७।। + जइ खमसि तो नमिज्जसि० ।।१८८।। -
[ ] [ ] उपदेशमाला पुष्पमालायाम्-२०८*
पासत्थओसन्नकुसीलरूवा० ।।१८९।। →
क्षमाकुलके-२२ रत्नसञ्चये-४८८ आवश्यकनियुक्तौ-११०७/१* गुरुतत्त्वविनिश्चये-३/६४*0 प्रवचनसारोद्धारे-१०३* संबोधसित्तर्याम्-९* संबोधसप्ततिकायाम्-९* गुरुवन्दनभाष्ये-१३ आवश्यकनियुक्तौ-११०८* गुरुतत्त्वविनिश्चये-३/१२१* संबोधसित्तर्याम्-१०* संबोधसप्ततिकायाम्-१०* आवश्यकनियुक्तौ-११०९* गुरुतत्त्वविनिश्चये-३/१२२*
वंदंतस्स उ पासत्थ० ।।१९०।। →
जे बंभचेरस्स वयस्स० ।।१९१।।+

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