Book Title: Darshanshuddhi Prakaranam Aparnam Samyaktva Prakaranam
Author(s): Vijaykirtiyashsuri
Publisher: Sanmarg Prakashan
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द्वितीयं परिशिष्टम्
४४१
पासत्थो ओसन्नो० ।।१९२।। - जंजीयमसोहिकरं० ।।१९३।। ,
जं जीयं सोहिकरं० ।।१९४ ।। ,
आणाइ अवस॒तं० ।।१९५।। → किं वा देइ वराओ० ।।१९६।। →
तम्हा सइ सामत्थे० ।।१९७ ।। → एवं पाएण जणा० ।।१९८।। - इयरेसुं वि य पओसो० ।।१९९।। →
अग्गीयादाइन्ने० ।।२०० ।। + इहरा सपरुवघाओ० ।।२०१।। → ता दव्वओ य तेसिं० ।।२०२।। →
उपदेशमाला पुष्पमालायाम्-२०६* गुरुतत्त्वविनिश्चये-२/५२* आगमअष्टोत्तर्याम्-१६ गुरुतत्त्वविनिश्चये-२/५३* आगमअष्टोत्तर्याम्-१९ सम्यक्त्वकुलके-३/२१ संबोधप्रकरणे-४६/५ सम्यक्त्वकुलके-३/२२ अभिधानराजेन्द्रकोषे 'आगम' शब्दे-८२* सम्यक्त्वकुलके-३/२३ उपदेशपदे-८३९* उपदेशपदे-८४०* उपदेशपदे-८४१, ८४२* जीवानुशासने-८९, ९०* उपदेशपदे-८४३* साधुस्थापनाधिकारे-२१ बृहत्कल्पभाष्ये-३२१* उपदेशपदे-७८४* उपदेशरहस्ये-१३६* 0 अभिधानराजेन्द्रकोषे 'उस्सग्गववाय' शब्दे* 0
उन्नयमविक्ख निन्नस्स० ।।२०३।। -
[
]
मा आयन्नह मा य मन्नह० ।।२०४।। - गुरुकम्माण जियाणं० ।।२०५।।+ दूसमकालसरूवं० ।।२०६।। , जीवाजीवा पुन्नं० ।।२०७।।+
एगविह दुविह तिविहा० ।।२०८।। + पुढवी-आऊ-तेऊ-वाउ० ।।२०९।। - एगिंदियसुहुमियरा० ।।२१० ।। ,
नवतत्त्वप्रकरणे-१, ४* प्रवचनसारोद्धारे-९७४* नवतत्त्वप्रकरणे-३* [ ] आवश्यकनियुक्तौ 'प्रतिक्रमण' अध्ययनस्य संग्रहणिगाथायाम्-१* पञ्चसंग्रहे-८२*

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