Book Title: Darshanshuddhi Prakaranam Aparnam Samyaktva Prakaranam
Author(s): Vijaykirtiyashsuri
Publisher: Sanmarg Prakashan

View full book text
Previous | Next

Page 506
________________ अ ५५ १६० १४५ अष्टमं परिशिष्टम् गाथा-अकारादिक्रमः आयाणं जो भंजइ. आयार सुय सरीरे. | आयाराई अट्ठ उ० आराहणाए तीए० | आलयविहारभासा० | आसन्नसिद्धियाणं. १८१ | आहाकम्मुद्देसिय० | आहारसरीरिंदिय० २०० १४४ १८० १७९ १२० २१६ ११५ १८३ २५४ अक्खरु अक्खइ किंपि न इहइ. अग्गीयादाइन्ने अच्चंतं दटुंमि बीयंमि० अज्जवि तवसुसियंगा. अज्जवि तिन्नपइन्ना० अज्जवि दयखंति. अज्जवि दयसंपन्ना० अट्ठविहा गणिसंपय० अट्ठविहं पि य कम्म अट्ठारस जे दोसा. अद्दामलयपमाणे० अन्नाणकोहमयमाण. अन्नाणनिरंतरतिमिर० अन्नाणंधा मिच्छत्त. अन्नाभावे जयणाए. अन्नोन्नतरियंगुलि० अरहंति वंदण. अवगाहो आगासो० अवहट्ट रायककुहाइं० असंखोसप्पिणि सप्पिणीओ० अहिगारी उ गिहत्थो० अहिगारिणा इमं खलु. अहिगारिणा विहीए. आ आऊतेऊवाऊ एसिं० आणाइ अवटुंतं० इइ जाणिऊण एयं० इत्थ य परिणामो खलु. इय आगमविहिपुव्वं० | इय दहतियसंजुत्तं० इय पायं पुवायरिय० इयरेसुं वि य पओसो. | इहरा सपरुवघाओ० २६७ १९९ २०१ ३२ ८२ २०३ उक्कोसं दव्वत्थयं० २२४ | उद्दिट्ठकडं भुंजइ० | उन्नयमविक्ख निन्नस्स० उवएसरयणकोसं० उवसम संवेगो वि य० | उस्सग्गेण निसिद्धाणि. ऊणतं न कयाइ वि० २६९ २५३ १३० १९५ १४०

Loading...

Page Navigation
1 ... 504 505 506 507 508 509 510 511 512