Book Title: Dandakadik Dwar Sangraha Author(s): Saubhagyashreeji Publisher: Umedchand Raichand View full book textPage 7
________________ आ पुस्तक प्रसिद्ध करवामां जे जे गृहस्थो तथा ब्हेनोए मदद करेली छे तेनां मुबारक नामो नीचे मुजब छे. २५-०-० चोकशी अमरचंद मुलचंदनी पत्नि सोभाग्यवंती बाइ समरत मुं. खंभातं बंदर.. २५-०-० अमरचंद कानजीनी विध्वा बाइ दीवाळीबाइ मुं.मांगरोळ. १०-०-० कालीदास उमेदचंद मुं. अमदावाद. ५-०-० मफाभाइ चुनीलाल डागवाला मुं. अमदावाद. ५-०-० हीरालाल चुनीलालनी विध्वा बाइ जामुद मुं.अमदावाद कुल ७०-०-० सूचना. पुस्तकने जेम तेम ज्यां त्यां रखडतुं मूकी आशातना करवी नहि. तेमज अशुद्ध हाथे पुस्तकने अडकवू नहि. उघाडे मुखे पुस्तक वांच_ नहि. मंगल, जैनो धर्मः प्रकटविभवः संगतिः साधुलोके, विद्वद्गोष्ठी वचनपटुता कौशलं सत्क्रियासु । साध्वी लक्ष्मीश्वरणकमलोपासना सद्गुरूणां, शुद्धं शीलं मतिरमलिना प्राप्यते नाल्पपुण्यैः ॥१॥ . सार-प्रगट प्रभाववालो जैनधर्म, संत-सुसाधु जनोनी संगति, ज्ञानी पुरुषो साथे गोष्टी, वाक्चतुराइ, शुभकरणीमां कुशलता, न्यायोपार्जित लक्ष्मी, सद्गुरुना चरणकमलनी उपासना, निर्मलशील अने शुद्धमति, एटलां वानां प्रबल पुण्ययोगेज प्राप्त थइ शके छे.Page Navigation
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