Book Title: Dandakadik Dwar Sangraha Author(s): Saubhagyashreeji Publisher: Umedchand Raichand View full book textPage 6
________________ ५ मदद करी छे तेमना मुबारक नाम अहीं नीचे सविस्तर जोडवा साये मनो पण खरा अंतःकरणथी आभार मानवामां आवे छे. प्रसिद्ध कर्तानी नम्र विनंती. आ पुस्तक प्रसिद्ध करवा माटे -- पुज्यपाद गुरुणीजी महाराजश्री सौभाग्यश्रीजीए मने भलामण करेली, तेथी तेमनो अन्तःकरणथी उपकार मानुछं. परंतु वास्तविकरीते आवा ग्रन्योने प्रकाशमां मुकवां ते जो के लाभ रूप छे, पण तेमां अशुद्धि अने शास्त्रकारनी आज्ञाथी विरूद्ध थाय ते विगेरे घणुं जोखमरुप होइ तेवुं भवभीति पणुं स्वीकारी' 'शुभे यथाशक्ति यतनीयम् "ए न्यायथी, मारी अल्पशक्ति मुजब जनसमूहने उपकारी अने लोकप्रिय थाय तेम करना आ पुस्तकमां संपूर्ण प्रयत्न करेलो छे छत पण आ प्रसिद्ध थयेला पुस्तकमां दृष्टि दोषथी या यंत्र ( छापाकलाना) दोषयी शास्त्र विरुद्ध या अशुद्ध छपायुं होय ते बाबते सुज्ञ भाइयो व्हेनोनी क्षमा चाहुं हुं भने सुधारी वांचवा भलामण करुं हुं वली -छपाया पछी-तपास करतां जे जे कंइ भुलो जणाइ छे तेनुं शुद्धिपत्रक पण आ पुस्तकना छेडे जोडेलुं छे तो ते प्रमाणे प्रथमयी सुधारीनेज वांचवा भणवा विशेषे भलामण करी अत्रे विरमुं. संवत १९७३ नां चैत्र सुद १५ ली. प्रसिद्ध कर्ता. मास्तर, उमेदचंद रायचंद. मुं. अमदावाद टा. पांजरापोळ.Page Navigation
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