Book Title: Chando Ratnamala Author(s): Sushilsuri Publisher: Sushilsuri Jain Gyanmandir View full book textPage 7
________________ १ प्रकाशकीय - निवेदन 'श्री नेमि-लावण्य-दक्ष-सुशीलग्रन्थमाला' का ७६ वाँ रत्न आपके सम्मुख रखते हुए हमको आनन्द एवं उल्लास का अधिक अनुभव हो रहा है। इस नूतन ग्रन्थ का नाम 'छन्दोरत्नमाला' है। इसके कर्ता परम पूज्य शासनसम्राट् समुदाय के सुप्रसिद्ध जैनधर्मदिवाकर - शासनरत्न - तीर्थप्रभावक - राजस्थानदीपक - मरुधरदेशोद्धारक - शास्त्रविशारद - साहित्यरत्न - कविभूषण - बालब्रह्मचारी पूज्यपाद आचार्यदेव श्रीमद् विजय सुशीलसूरीश्वर जी म. सा. हैं। उन्होंने छन्दविषयक छन्दोऽनुशासन, वृत्तरत्नाकर, छन्दोमञ्जरी, श्रुतबोध तथा काव्य विषयक अनेक ग्रन्थों का अवलोकन कर इस नव्य ग्रन्थ का सर्जन अति सुन्दर किया है। तीन स्तबकों में सारा ग्रन्थ पूर्ण किया है। छन्दविषयक वस्तुपरिचयात्मक प्रथम स्तबक है। मात्रिकछन्दनिरूपणात्मक द्वितीय स्तबक है तथा सुप्रसिद्ध १०८ छन्दों का क्रमशः लक्षणयुक्त निरूपणकारक तृतीय स्तबक है। सरल संस्कृत भाषा में इस ग्रन्थ की सुन्दर रचना होने से साक्षरों को तथा छन्दजिज्ञासुओं को यह ग्रन्थ अति उपयोगी होगा।Page Navigation
1 ... 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 ... 174