Book Title: Chandappahachariyam ni Rupkatha Author(s): Publisher: ZZ_Anusandhan View full book textPage 2
________________ मोह नरेन्द्रनी मूढता नामानी प्रियाने बे पुत्रो हता अक दर्शनमोह अने बीजो मो दर्शन हनी प्रियतमा मोहदृष्टिने त्रण पुत्रो हता. सम्यकदर्शन, मिश्र अने बदर्शन चारित्रमोहनी अविरति नामनी पत्नीने चतुर्मुखवाळा त्रण पुत्रो वैश्वानर ३) शैलस्थंभ (दर्प, मान) अने सागर (लोभ) तेमज बहुलिका (माया) नामनी दना पुत्री हती. ओक वार मोहराजाओ पोताना पुत्र दर्शन मोहने कह्यु के तारी पासे हिनी मोटी शक्ति छे. तेथी असंव्यवहार नगरमांथी हु जे लोको ने मोकलुं तेने दृष्टि मोहथी मोहित करी वश करवा तारो पुत्र मिथ्यादर्शन मारो सचिव छे. तारे पण मार्गदर्शन लेवू परंतु तारो सम्यक् दर्शन नामनो पुत्र मने योग्य लागतो नथी. आपणां बधा नगरोने उज्जड करवा इच्छे छे. यतिपुरीमा आवेला विवेकगिरि घर पर सुबोधराजा अने तेनी पत्नी सत्यदृष्टि रहे छे. अनी साथे तारा पत्रनी मैत्री पाटे आ कुपुत्रनो क्यारेय विश्वास करीश नही. चारित्रमोह नामनो तारो भाई समर्थ ते अने तेनो परिवार तारा कार्यमां सहायभुत बनशे. वळी आयु राजानी चार प्रियाओ छे. पापमति, महामाया, मध्यम गुण यता अने शुभ प्रवृत्ति. तेमना चार पुत्रो अनुक्रमे नरकायु, र्यिगायु, मजुजायु अने यु नामना छे. आमांथी नरकायु मिथ्यादर्शन अमात्यने वशवर्ती छे. चारित्रमोहना जलनादि महासुभटोनी साथे आनो स्नेह संबंध बनशे. आम शिखामण आपीने नमोहने युवराज पदे स्थाप्यो आम तेओर्नु कार्य सुपेरे चालतुं हतुं. ओक वार पर्याप्त सन्निग्राममां पंचेन्द्रिय महोल्लानां केटलांक लोकोने न्यक्त्वे वशीकृत कर्या अने दर्शनमोहना देखतां ज बोधराजनी आज्ञाथी ते वेकसेन दुर्गमा यतिपुरमां लई जवाया. तेमांथी वळी केटलांक मिथ्यादर्शन मात्यनी चढवणीथी पाछा फर्या. सम्यकदर्शनने वशवर्ती लोको देवगतिपुरीमां गया साथी फरी मनुष्य पुरमा जइने यतिपुरीमां गया. त्यांथी सुबोध नरपति अने चारित्र में नरपतिनी आज्ञाथी भृत्यपणुं छोडीने शिवनगरीमां गया. आम तेओओ मळीने हराजनी सेनाने निष्फळ बनावी. आ वात जाणी दर्शनमोहे आयु राजा पासे आनी फरियाद करी तेमज स्वपुरीमां लई जवाता लोकोने रोकवा माटे विनंती करी. आ सांभळी आयुराजाओ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22