Book Title: Buddha aur Mahavir
Author(s): Kishorlal Mashruvala, Jamnalal Jain
Publisher: Bharat Jain Mahamandal

View full book text
Previous | Next

Page 144
________________ महावीर का जीवन - धर्म १२९ ६. जयन्ती कौन मनाएँ ? : ऐसी जयंतियाँ केवल उपासकों, भक्तों या जिज्ञासुओंने ही एकत्रित होकर मनानी चाहिए। इसमें बड़ा समारंभ करने, बहुत से लोगों को एकत्रित करने या सब के लिए एक ही तरह का कार्यक्रम रखने की झंझट न हो । ७. अनुयायी : हर एक पंथ में पांच तरह के अनुयायी होते हैं । उपासक, भक्त, जिज्ञासु, पंडित और सामान्य वर्ग । उपासक अर्थात् महावीर के समान अपना जीवन निर्माण करने की, महावीर के महान गुणों को अपने जीवन में उतारने की तीव्र इच्छा रखनेवाले । भक्त यानी जिनमें महावीर के प्रति इतना प्रेम हो कि उनके लिए जो अपने जान-माल को किसी न किसी तरह उपयोग में लाने की तीव्र इच्छा रखते हों। ये स्वयं महावीर जैसे होने की अभिलाषा नहीं करते, लेकिन महावीर को अपने नाथ, मित्र, माता, पिता जैसे समझ उनके लिए कुछ करने की इच्छा रखते हैं। जिज्ञासु यानी जैन संप्रदाय के तत्त्वज्ञान की अनुभव में उतारने की इच्छावाला | पंडित अर्थात् जैन शास्त्रों का जानकार और समान्य वर्ग यानी जो जीवन में सुखी रहकर कुटुम्ब, धन व्यापार-रोजगार को जीवन के मुख्य अंग मानता है लेकिन जिसे एक ऐसी श्रद्धा है कि ये सब वस्तुएँ महावीर की दिव्य शक्ति का आश्रय लेने से स्थिर रहती हैं और उनके पंथ में दान, पुण्य करने से यहां सुखी रह सकते हैं और दूसरा जन्म अच्छा मिलता है ।

Loading...

Page Navigation
1 ... 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162 163 164 165