Book Title: Buddha aur Mahavir
Author(s): Kishorlal Mashruvala, Jamnalal Jain
Publisher: Bharat Jain Mahamandal

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Page 163
________________ भाषण माप विचार करें। जैनों को लक्ष्य कर इसमें कुछ टीका जैसा जो कहा गया है वह जैनों को ही लागू होता है और दूसरे हिन्दुषों को नहीं, यह न माने । ब्राह्मण-धर्मी या जैन-धर्मी हम सब एक ही मिट्टी के पुतले हैं। सब में एक ही तरह के अच्छे-बुरे गुण हैं। इससे इतना ही समझें कि बाज का प्रसंग जैनों का होने से जैनों को निमित्त मानकर कहा गया है। ..जिस मार्ग से महापुरुष गए, उसी मार्ग से जाने की हममें शक्ति उत्पन हो।

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