Book Title: Brammha Virachit Updeshkushalkulak
Author(s): Diptipragnashreeji
Publisher: ZZ_Anusandhan

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Page 2
________________ 80 अनुसंधान - २४ बुधवारे राते (नशा- निशा ) घडी ५ तथा ६ नी वच्चे गुजरात देशमां धरतीकंप थयो हतो, अने प्रतना लेखके तेनो स्वानुभव कर्यो हतो तेनुं संक्षेपमां पण सुस्पष्ट वर्णन तेमणे लख्युं छे. ते समये पोते अहमदाबाद नगरमां बीबीपुर ( सरसपुर) मां धातरीवाडानी पोळमां बेठा हता, अने 'शील रास' नो स्वाध्याय करता हता अने श्रावक साह महावजी तेनुं श्रवण करता उपाश्रयमां ज बेठा हता, ते समये अचानक धरती हाली, ते पळे तेणे केवी कल्पनाओ करी तेनुं सरस वर्णन कर्तुं छे. प्रथम तो तेमने भ्रम थयो के कोईक जाणी करीने हलावे छे. पछी थोडीवारे लाग्युं के कोई देवता उत्पात करी रह्या छे. त्यां तो घर घरना लोको बहार आव्या अने 'अमारां घर पडेनां बूमराण मची गयां, त्यारे ख्याल आव्यो के आ तो धरतीकंप हशे परन्तु तेओ तेने 'देवचरित्र' ना नामथी ज ओळखावे छे. छेवटे तेओ नोंधे छे के ( अमदावादनी जेम) पाटणमां पण घणा घर पडी गया, केटलाक माणसो पण मृत्यु पाम्या, अने नर्मदा (रेवा) नदीना पाणीमां सर्पोनो उपद्रव पण थयो. ( धरतीकंपने लीधे भूमिगत तथा पाणीगत सर्पो व्याकुल थईने नदीना जळमां फसाया होय ते संभवित छे.) आमां शीलरासना कडवानो उल्लेख छे, ते पार्श्वचन्द्रगच्छीय विजयदेवसूरिए रचेला शीलरासना पहेला कडवानी १०मी कडी छे, ते पण तपास करतां जाणवा मळ्युं छे. आशा छे के आ लखाण इतिहासरसिको माटे उपयोगी नीवडशे. आ प्रतनुं सम्पादन करवामां गुंच आवी त्यारे ते उकेलवामां श्रीचेतनभाई भोजके मदद करी छे तेनो ऋणस्वीकार करूं छं. आ उपदेशकुशलकुलकना कर्ता विशे जैन गुर्जर कविओ- भाग १ (पृ. ३२१ - २२) मां नोंधायेली विगत प्रमाणे ब्रह्ममुनि पार्श्वचन्द्रगच्छना साधु हता, पछीथी तेओ आचार्य विनयदेवसूरि तरीके ओळखाया, अने तेमणे सुधर्मगच्छनी स्थापना करी हती. तेमनो सत्तासमय सं. १५६८ थी १६४६ छे. तेमनी विविध रचनाओ विषे ते सन्दर्भमां नोंध छे, जेमां आ रचना विषे नोंध Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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