Book Title: Brahmi Vishwa ki Mool Lipi
Author(s): Premsagar Jain
Publisher: Veer Nirvan Granth Prakashan Samiti
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आचार्य आशाधर - विरचित
चौबीस तीर्थंकर अक्षर - माला स्तोत्र
अमरनरपतिसमितिकृतपादपीठाय । आदित्यकोटिरुचिवृषभजिनराजाय ||१||
इतिहासमासिबहुजयरत्नकोशाय । ईश्वरश्रीगणभृदजितपरमेशाय ॥ २ ॥
उदधिसमधैर्याय बंधुरनिवासाय ।
ऊर्जितज्ञानपति संभव जिनेशाय || ३ ||
ऋविहितनुतिलसदभिनंदजिनेशाय । ऋविहितनुतिलसदभिनंदनजिनेशाय ||४||
लृस्तुतिक्रमकरण परमगुरूनाथाय । लृ पूजितप्रमदसुमतियतिनाथाय ॥५॥
एकांतवादिमद कुंजरमृगेशाय । ऐश्वर्यबोध निधिपद्मप्रमेशाय || ६ ||
ओरचितचरणवरसुपार्श्वनाथाय । औविकारविहितमहामति सुपाय ||७||
अंरुपपरिपूर्णजगदैकनाथाय 1 अः श्रवत्यक्तमद श्रीचंद्रनाथाय ||८||
करुणारससारकृतमत्यनंताय ! खलकर्म निरूहपटुपुष्पदंताख्याय ||९||
गजवैरिविष्टराधिप भूतलेशाय । घद्विरदहरिराजसमशीत लेशाय ॥ १० ॥
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ङप्रस्तुतत्रिकरणभद्राय चरणप्रणीतात्मश्रेयोजिनेंद्राय ।।११।।
छत्रत्रयालंकृत श्रेयोराज्याय 1 जन्मादिभीतिविरहितवासुपूज्याय ।।१२।।
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