Book Title: Brahmi Vishwa ki Mool Lipi
Author(s): Premsagar Jain
Publisher: Veer Nirvan Granth Prakashan Samiti

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Page 141
________________ अ आ fur 40m इ ई उ ऊ 老 ॠ له 2 ओ औ लल Isto क ख Fb ग घ hop ङ च 10 15 ୫ ज Jain Education International १३० आचार्य आशाधर - विरचित चौबीस तीर्थंकर अक्षर - माला स्तोत्र अमरनरपतिसमितिकृतपादपीठाय । आदित्यकोटिरुचिवृषभजिनराजाय ||१|| इतिहासमासिबहुजयरत्नकोशाय । ईश्वरश्रीगणभृदजितपरमेशाय ॥ २ ॥ उदधिसमधैर्याय बंधुरनिवासाय । ऊर्जितज्ञानपति संभव जिनेशाय || ३ || ऋविहितनुतिलसदभिनंदजिनेशाय । ऋविहितनुतिलसदभिनंदनजिनेशाय ||४|| लृस्तुतिक्रमकरण परमगुरूनाथाय । लृ पूजितप्रमदसुमतियतिनाथाय ॥५॥ एकांतवादिमद कुंजरमृगेशाय । ऐश्वर्यबोध निधिपद्मप्रमेशाय || ६ || ओरचितचरणवरसुपार्श्वनाथाय । औविकारविहितमहामति सुपाय ||७|| अंरुपपरिपूर्णजगदैकनाथाय 1 अः श्रवत्यक्तमद श्रीचंद्रनाथाय ||८|| करुणारससारकृतमत्यनंताय ! खलकर्म निरूहपटुपुष्पदंताख्याय ||९|| गजवैरिविष्टराधिप भूतलेशाय । घद्विरदहरिराजसमशीत लेशाय ॥ १० ॥ 1 ङप्रस्तुतत्रिकरणभद्राय चरणप्रणीतात्मश्रेयोजिनेंद्राय ।।११।। छत्रत्रयालंकृत श्रेयोराज्याय 1 जन्मादिभीतिविरहितवासुपूज्याय ।।१२।। For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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