Book Title: Brahmi Vishwa ki Mool Lipi
Author(s): Premsagar Jain
Publisher: Veer Nirvan Granth Prakashan Samiti

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Page 153
________________ १४२ पुरुदेवचम्पू-५६, ६.. भगवतीसूत्र-२३, २४, ४४, ४५, पुरुषार्थसिद्ध्युपाय-४३. ४७, ६४.७१, ९६.९८, १२०. पुष्पदन्त-६५, ६६, १२०. भगवानलाल इन्द्राजी-१२०. पुष्पदन्तभूतबलि-७४. भट्टाकलंक-३६, ९५. पूज्यपाद (आचार्य)-३५, ४२. भरत-३९, ६१, ७२. फ्लीट-९४. १०६, ११२. भरतमुनि-७२. फा-वान-शुलिन-५७. भरत और भारत-६१. ५०, ९१, १२१. बट्टेलुत्तु-११३. भरतेश्वर-बाहुबलि रास-९२. बड़ली ग्राम-५२, ८८. भत हरि-४१. बरनेल-४५. भरमौर-७६, ७७. बल्लभी-२६. भारतीय पुरालिपि शास्त्र-२५, २६, बहिस्तून (अभिलेख)-२५. २७, ४५, ४८, ४९, ५०, ५८, बृहज्ज्ञानकोष-४८.. ८५, ८८, ९१, ९३, १०१, बृहत्कथा-१००. १०२, १०५, १०६, १०७, १११, बृहत्कल्प-३५. ११२, ११७, १०, १२१. बृहदारण्यक-५८. भावश्रुत-९५. बृहत् जैन शब्दार्णव-३५, ३७, ८१. भावसेन-४०. ब्रह्मपुरी-७६. भाषा (पत्रिका)-११०. ब्रह्मविद्या-५८ भाषाविज्ञान-कोष-८८. ब्रह्मविलास-३८. भास्कराचार्य-१२३. बाहुबलि-५४, ६१, ७७, ९२. भिक्षु अभिनन्दन ग्रन्थ-१२५, १२६. ब्राह्मी-५५, ५६, ५९, ६१, ६२, ६३, भतलिपि-९९, १००, ६४, ६५, ७२, ७४, ७५, ७७, भोजदेव-४०. ८३, ९८, १०१, १०२. १०५, मनसुखसागर-७०. ११४, ११७. मलयगिरि-९५. ब्राह्मी देवी-५७. मल्लिनाथीय टीका-७८. ब्राह्मीलिपि-५५, ५८, ६०, ७२, ७४, महापुराण (अपभ्रंश)-६५, १२०. ८८, ९०, ९१, ९९, १०३, १११, महापुराण (संस्कृत)-८०, ४३, ८६, ११८, १२७, १३६. बिनोवा भावे-११०. महाभारत-७२, ७३. ९०. बुद्ध-७५, ८६. महावीर (तीर्थंकर)- ७८, ८६, १२०, बुद्धिस्ट इण्डिया-९१. १२७, १३६. भगवज्जिनसेनाचार्य-४०, ४३, ४६, महावीराचार्य-१२५. मंगलदेव शास्त्री-९१. भगवतीदास 'भैय्या'-३८. मार्कण्डेय पुराण-७०. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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