Book Title: Bolti Tasvire
Author(s): Devendramuni
Publisher: Tarak Guru Jain Granthalay
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( ७ )
में उसके मानस पर ऐसी अमिट छाप छोड़ देती है जो वर्षों तक अपना असर दिखाती है ।
यह एक ज्वलंत सत्य है कि यदि उत्तम व श्रेष्ठ कथा साहित्य पढ़ने को दिया जाय तो उसके मन में उत्तम संस्कार अंकित होते हैं । यदि बाजार घासलेटी - साहित्य पढ़ा गया तो उससे बुरे संस्कार अपना असर दिखाते हैं। मुझे लिखते हुए हार्दिक खेद होता है कि आधुनिक उपन्यास व कहानी जिसमें रहस्य - रोमांस, मारधाड़ और अपराधी मनोवृत्तियों का नग्न चित्रण हो रहा है, वह भारत की भावी पीढ़ी को किस गहन अन्धकार के महागर्त में धकेलेगा यह कहा नहीं जा सकता । आज किशोर युवक और युवतियों में उस घासलेटी सस्ते साहित्य को पढ़ने के कारण उनके अन्तर्मानस को वासना के काले नाग फन फैलाकर डस रहे हैं, जिनका जहर उन्हें बुरी तरह से परेशान कर रहा है। उनका मेरी दृष्टि से उस जहर की उपशान्ति का एक उपाय है और वह है उन युवक और युवतियाँ को घासलेटी साहित्य के स्थान पर स्वस्थ मनोरंजक श्रेष्ठ साहित्य दिया जाय । प्राचीन ऋषिमहर्षि मुनि व साहित्य मनीषी उत्तम साहित्य के निर्माण हेतु अपना जीवन खपा कर श्रेष्ठतम साहित्य देते रहे हैं । मेरा भी वह लक्ष्य है । मैं भी कथा - रूपक व उत्तम उपन्यास के माध्यम से जन-जन के मन में संयम और सदाचार की
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