Book Title: Bharateshwar Bahubali Vrutti Part_2
Author(s): Shubhshil Gani
Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar Fund

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Page 14
________________ ॥ श्रीभरते- पूज्यपाद आचार्यवर्य श्रीविजयदानसूरीश्वरजी महाराजाए पोतानी आत्मसाधनामां मन-वचन-कायाने समी दीधा हता. अति श्वरवृत्तिः। वृद्धवये अने अति क्षीण देहे पण ते महापुरुष महान तपस्वी हता. छातीनो सतत दुखावो होवा छतांय उपविहारी हता. शासनना परम रिचरित्रं । ॥४॥ आधारभूत हता. तेओनी वि.सं१९९२ना महा सुद २ ना दिवसे पाटडी मुकामे काळधर्म पाम्या. जीवनभरना संयमना प्रभावे एमने समाधि मरण प्राप्त थयु. तेओश्री पोतानी पाछळ एक सुविशाळ मुनिमंडळ मूकी गयाछे, जेमा पूज्यपाद सिद्धांतमहोदधि आचार्य म० श्रीविजयप्रेम-IN सूरीश्वरजी महाराज अने तेमना पट्टप्रभावक पूज्यपाद व्याख्यानवाचस्पति आचार्य म० श्रीविजयरामचंद्रसूरीश्वर महाराज वगैरे मुख्यछे. __ आ महापुरुष पोताना जीवनमां शासनसेवाना अने भव्य जनो पर उपकार करवाना अनेक कार्यो कर्या छे अने तेमन जीवन IN आत्महित इच्छनार माटे एक प्रेरणानु उत्तम साधन छे. सं. १९९२ धनतेरसी, बुधवार. मुंबई ता. ११ नवेंबर १९३६ साधु चरण किङ्कर जीवनचंद साकरचंद जह्वेरी. मानार्थ मेनेजींग ट्रस्टी. in Educatat For Private Personel Use Only brero

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