Book Title: Bharateshwar Bahubali Vrutti Part_2
Author(s): Shubhshil Gani
Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar Fund

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Page 12
________________ ॥श्रीभरतेश्वरवृत्तिः । ॥ ३ ॥ Jain Education ॐ ह्रीँ णमो आयरियाणं । ॐ ह्रीँ णमो लोए सव्वसाहूणं । सकलागमरहस्यवेदीशासनधुरंधर, परमगीतार्थ, ज्योतिर्विदाभरण पूज्यपादाचार्य श्रीमद् विजयदानसूरीश्वरजीमहाराजनुं टुंकुं जीवनचरित्र महापुरुषो जन्म झींझुंबाडामां वि. सं. १९२४ना कार्तिक शुक्ल चतुर्दशीए थयो हतो. तेमना पितानुं नाम जुठाभाइ, अने मातानुं नाम नवलबाइ हतुं. मातापिताए एमनुं नाम दीपचंद राख्युं हतुं. दीपचंदे पोताना जीवनथी पोताना नामने देदीप्यमान कर्तुं छे. दीपचंद कुळदीपक पण नीवड्या, अने शासनदीपक पण नीवड्या. दीपचंदनुं जीवन अनेक रीतिए यशस्वी बन्युं भण्या, एसिस्टंट मास्तर थया अने पोलीस पटेल पण बन्या, परन्तु सत्ताना गुमाननी चूडमां ए सपडाया नहि. प्रसंगवश धर्म तरफ प्रेराया. पोतानुं धर्महीन जीवन अकारुं लाग्युं. पूर्वनी आराधनाथी के उत्तम भवितव्यता होवाथी, दीपचंदना हृदयमां धर्मने जाणवानी अने आचरवानी प्रबळ इच्छा जन्मी क्रमशः तेओ साधु थया. For Private & Personal Use Only विजयदानसुरिचरित्रं । ॥ ३ ॥ jainelibrary.org

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