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भक्तमाल
__ प्रस्तुत रचना की दो प्रतियाँ प्रतिष्ठान के जयपुर स्थित शाखा-कार्यालय में स्व० पुरोहित हरिनारायणजी विद्याभूषण-संग्रह में विद्यमान हैं। इनमें से एक प्रति सं० १८६१ की अर्थात् चतुरदासजी कृत टीका के रचनाकाल से साढ़े तीन वर्ष बाद ही की लिखित है। इस प्रति की प्रतिलिपि करवा कर श्री नाहटाजी को भेजी गई और अन्य प्राप्य प्रतियो के पाठान्तरों सहित सम्पादन के लिये उन्हें सूचित किया गया। तदनुसार विद्वान् सम्पादकजी ने भूमिका में उल्लिखित प्रतियों को लेकर पाठान्तर प्रादि देते हुए प्रेसकॉपी तैयार कराई। समय-समय पर जिन अन्य प्रतियों की हमें सूचना मिली अथवा बाद में प्रतिष्ठान में जो प्रतियां प्राप्त हुईं, उनके विषय में भी श्री नाहटाजी को जानकारी दी गई और प्रतियाँ उनके अवलोकन व उपयोग के लिये भेजी गईं।
हमारा विचार है कि यदि ऐसो राजस्थानो रचनाओं का सम्पादन राजस्थान के विभिन्न भागों अथवा विभिन्न भूतपूर्व रियासतों में लिपिकृत प्रतियों के आधार पर किया जाय, तो भाषाशास्त्र के अन्तर्गत ध्वनिभेद और भाषा-विकास सम्बन्धी अनेक गुत्थियों के हल निकलने के अतिरिक्त कितने ही अन्यान्य रोचक तथ्य भी सामने आ जाते हैं और उनसे नए निष्कर्ष निकाले जा सकते हैं। अस्तु, श्री नाहटाजो द्वारा प्रेस-कॉपी तैयार करा लेने तथा प्रेस में मूल ग्रन्थ का बहुत-सा अंश छप जाने के बाद प्रतिष्ठान में राघवदास कृत भक्तमाल (चतुरदास की टीका सहित) की दो और प्रतियाँ प्राप्त हुई हैं। उनके विवरण इस प्रकार हैं : (१) प्रतिष्ठान के संग्रहाङ्क २१६७७ पर अंकित प्रति का विवरण : पत्र सं० ६२
पंक्ति प्रति पृष्ठ =१८ ३२४१५.८ सी. एम अक्षर प्रति पंक्ति = ४८
प्रतिलिपि संवत् १६०० वि०।
पुष्पिका. इती श्री भक्तमाल टीका सहित राघोदासजी कृत संमस्त भक्तन को जथामात बरनन संपूरण समापतः ॥ छपय छदं ॥३४३॥ मनहर छंद ॥१५०॥ हंसाल छंद ॥४॥ साषी ॥६॥ चौपई ॥२॥ इंदव छंद ॥८॥ एती राघवदासजी कृत संपूरण ॥५७५॥ चतुरदास जी कृत टीका ॥ इंदव अरु मनहर ॥६५३॥ समस्त मुल टीका कवित को जोड ॥१२५५॥ ग्रथ को प्रमाण श्लोक संख्या हजार ॥४५००॥
संबत अष्टादश शतक ॥ दश नवगुन अधिकाहि ॥ भाद्रमास सित प्रतिपदा ॥ भृगुबासर के मांहि ॥
नग्र ग्रंमारुमा मध्ये ल्यषि प्रसतल भगवानदासजी का ता मध्ये लिषि साध रामवयाल दादूपंथ ॥ समत्त ॥१६००॥ मीति भादवा सुदी ॥१२॥ राम रं रं रं रं.
___ इस प्रति में छंद संख्या १,२५५ लिखी है, परन्तु उक्त अंकों को जोड़ने पर १,३०२ पाती है। पृष्ठ संख्या, अनुपाततः प्रति पृष्ठ पंक्ति संख्या और प्रतिपंक्ति
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