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आत्मानंद प्रकाश ]
" हि न्दी वि भा ग : 0000000000000000000000000000 वर्षीय तप के उपलक्ष्य में पंचान्हिका महोत्सव
शवजय गिरिराज़ की शीतल छाय' में प्रकार की पूजा पढाई गईं । पालीताणा की पावन भूमि पर पंजाब देशोद्धार, बिश्ववंद्य विभूति महान ज्योतिर्धर दि. ९-५-९४ को साध्वी श्री ओमकार न्यायाम्मोनिधि आचार्य श्रीमद् विजयानंद श्रीजी म. की शिष्या साध्वी श्री मृदुलताश्रीजी सूरीश्वरजी महाराज की दादा की टुक में म. एवं सा. श्री विपुलयशाश्रीजी म. के वर्षीप्रतिमा प्रतिष्ठा एव वर्तमान गच्छाधिपति यतप के उपलक्ष्य में श्री हुकमीचद साकलआचार्य श्रीमद् बिजय इन्द्रदिन्नसूरीश्वरजी चद्र शिरपुरवालों की ओर से अन्तरायकर्म महाराज के वर्षीय तप पारणा के प्रसंग पर की पूजा पढाई गई। पचान्हिका जिनेन्द्र भक्ति महोत्सव का भव्य आयोजन किया गया ।
दि, १०-५-९४ को श्री पार्बपद्मावती
पूजन पढाया गया दि. ११-५-९४ को श्री इस पंचान्हिका महोत्सव दि. ७-५-९४ भक्तामर महापूजन पढाया गया । के अन्तर्गत प्रवतिनी साध्वी श्री प्रवीणश्रीजी की शिष्या साध्वी श्री चरणप्रभाश्रीजी म. के दि. १२-५-९४ को गिरिमाज पर श्रीमद वर्षीय तप के उपलक्ष्य में ऋषभ जैन महिला विजयानंदसरि महाराज की प्रतिष्ठा की मडल की ओर से श्री पंचकल्याणक पूजा पढाई प्रतिष्ठिा सम्पन की गई । गई ।
इस पचान्हिका महामहोत्सव के विधिदि. ८-५-९४ को साध्वी श्री यशोभद्रा कारक थे श्री भीखभाई बारसोवाले । श्रीजी म. एवं साध्वी श्री भद्रयशाश्रीजी म. के वर्षीत तप के उपलक्ष्य में कपडवंज निवासी दि. १२-५ ९४ को प्रातः ८-५० बजे श्री कस्तुरलाल न्यालचंद की ओर से नव्वाणु गिरिराज पर गुरू प्रतिमा प्रतिष्ठा के बाद
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