Book Title: Atmanand Prakash Pustak 091 Ank 07
Author(s): Pramodkant K Shah
Publisher: Jain Atmanand Sabha Bhavnagar

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Page 17
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir आत्मानंद प्रकाश ] -~. ऐतिहासिक पारणा महोत्सव . वैशाख सुदि तीज (अक्षय तृतीया) का शासन शिरोमणि, जन जन के श्रद्धा केन्द्र वह दिन जैन धर्म के इतिहास में एक अवि. आचार्य श्रीमद बिजय इन्द्रदिन्नसूरीश्वरजी स्मरणीय यादगार छोड कर विदा हो गया महाराज जिन्होंने अपनी इकहत्तर वर्ष की हैं । तपश्चर्या को तारीख में हमेशा के लिए अवस्था में हृदय की शल्प चिकित्सा के उपअमिट बनी रहनेवाली यह आश्चर्य जनक रान्त और गच्छाधिपति पद की महान जिम्मेघटना लोगों को सदा प्रेरणा देती रहेगी। दारी सम्हालते हुए भी वर्षीय तप किया और भविष्य में जब जब भी पीढियों इस इतिहास उसका ऐतिहासिक पारणा दि. १३-५-९४ को गढेगी तो अवश्य विस्मित और दंग रह को अक्षय तृतीया के दिन १०८ श्रेयांस कुमारों जाएगी । जब जब भी इस तारीख को सुनेगा से इक्षु रस ग्रहण कर सुखशाता पूर्वक परिपूर्ण वह बिना अपने दांतों तले उंगली दबाए रह किया । नहीं पाएगा। सम्पूर्ण भारत के कोने कोने में बसे गुरुजैन धर्म की श्रमण परंपरा में और पंजाब भक्तगण पूज्य गुरुदेव के इस पारणा समारोह केसरी, युगवीर आचार्य श्रीमद विजय वल्लभ की बड़ी बेसब्री से इंतज़ार कर रहे थे । सूरीश्वरजी महाराज के समुदाय में ऐसा कभी मास और दिन गिनते हुए जब अक्षय तृतीया नहीं हुआ था कि किसी गच्छाधिपति ने निकट आ गई तो सभी गुरुभक्तों के आनंद बाईपास सर्जरी के बाद वर्षीय तप किया हो की सीमा नथी और ने सभी अपने सांसारिक उनके साथ साथ उनके आज्ञानुवर्ती ३३ कार्य छोडकर मन और हृदय में अपूर्व आनंद श्रमण एवं श्रमणी वृन्द ने उनका अनुसरण और हर्ष लिए पालीताणा में पहुच गए थे । करते हुए वर्षीय तप किया हो । पारणा समारोह के लिए सौधर्म निवास ___ संसार में कुछ विशिष्ठ व्यक्तित्व होते हैं धर्मशाला के विशाल प्रांगण में एक भव्य जो नवीन इतिहासका सर्जन करते है, ऐसा मंडप बांधा गया था जिसका नाम विजय इतिहास जो युगों युगों तक स्मरण किया इन्द्र दरबार रखा गया था। उसी मंडप में जाता है और दूसरों के लिए मार्गदर्शन और प्रात: ८-०० बजे पूज्य गुरुदेव के मंगलाचरण प्रकाश का कार्य करता हैं। ऐसे ही एक के साथ ही इस पारणा उत्सव का कार्यक्रम इतिहास निर्माता युग पुरुष है परमार क्षत्रियो प्रारंभ हो गया था । द्धारक चारित्र चूडामणि, जैन दिवाकर, बराबर मध्य में पूज्य गुरुदेव एवं कार्यदक्ष For Private And Personal Use Only

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