Book Title: Atmanand Prakash Pustak 091 Ank 07
Author(s): Pramodkant K Shah
Publisher: Jain Atmanand Sabha Bhavnagar

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Page 20
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra ८ ] वर्षीय तप के तपस्वी श्रमण थे पूज्य गुरुदेव उपाध्याय श्री बसंत विजयजी म. मुनिश्री विनयरत्नविजयजी म. "" 19 वर्षीय तप की तपस्विनी श्रमणी श्री साध्वी श्री प्रबोधश्रीजी म. ू " " देवेन्द्रविजयजी म. ऋषभचन्द्रविजयजी म. ,, "" " 59 "" 35 "" " चरणप्रभाश्रीजी म. भद्रयशाश्रीजी म यशोभद्राश्रीजी म. पुष्पाश्रीजी म. निपुणाश्रीजी म. योगशिलाश्रीजी म. बालचन्द्राश्रीजी म. कीर्तिप्रभाश्रीजी म. नयप्रभाश्रीजी म. प्रज्ञलताश्रीजी म. www.kobatirth.org 图 " ور Mo " "" 99 71 10 " " " 0000000 " 19 注 "" 19 "" " Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir For Private And Personal Use Only [ आत्मानंद प्रकाश मृदुलताश्रीजी म. विपुलयशाश्रीजी म. हर्षप्रियाश्रीजी म. प्रियधर्माश्रीजी म. विश्वप्रज्ञाश्रीजी म. ज्ञान और क्रिया एक दूसरे की सहायता से मोक्ष के मार्ग पर आत्मा को बढाते है । ● महामानवों की आत्माओ के समान ही हमारी आत्माएं भी अनन्त बलशाली और अनन्तज्ञान की अधिकारिणी है । आवश्यकता केवल उन्हे जगाने की है । हर्मिष्ठाश्रीजी म. सुप्रशाश्रीजी म. महाप्रज्ञाश्रीजी म. ज्योतिप्रज्ञाश्रीजी म. जीतयशाश्रीजी म. कल्पपूर्णाश्रीजी म. जिन प्रजाश्रीजी म. रत्नशिलाश्रीजी म. सुजीताश्रीजी म. प्रियसुधाश्रीजी म. रश्मिप्रभाश्रीजी म. सुमनीषाश्रीजी म.

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