Book Title: Atmanand Prakash Pustak 086 Ank 08 Author(s): Kantilal J Doshi, Prafulla R Vora Publisher: Jain Atmanand Sabha Bhavnagar View full book textPage 8
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra १२२ ] www.kobatirth.org एयाओ गाहाओ रहउं परमप्प भोयभरमुइओ | हरिसाऊ रियहियओ भोजककुलओ अहं बाल ॥६॥ सिरिहेमचंद - गिरिधर - मोहनलालण लालणिलज्जो य । परपोत्त-पोत- पुत्तो अणहिलपुरवासओ ठकुरो ||६४॥ हरकुंवरिसुओ अहुणा अहम्मदाबादनयरकयवासो । अमओ य पंचहत्तरिवरिसो सिढिल गलट्ठीओ || ६५ || आगमपहायराण मुणिव सिरि पुष्णाविजयनामाणं । गिहिभावठिओ सिस्सो विउजणविणयम्मि वट्टतो ||६६ || नियजीवियसाहलं वहेमि रोमं चचेंचइयअंगो । मण व साहलं तह सरीर साहलयं च तहा ॥ ६७ ॥ पंचहिं कुलयं ॥ सर - जुग - नह-sच्छि (२०४५) सखे विकमसंवच्छरम्मि वर्द्धते । माघस्त बहुलएक्कारसीए सणिवार जुत्ताए ।।६८।। नाणीण मेहसीणं जयवायपरूवियाओ एयाओ । गाहाओ रइयाओ अमरणं अप्पयसेयत्म || ६९ ॥ | जुम्मं ॥ जयउ सिरिसं घभट्टारओ पयाम विसेसपयरिसओ । तित्थयरवदिओ जो आचंदकं वदणीवीढे ॥ ७० ॥ सव्वाणं जीवाण होउ महामंगल च महसोक्ख । अत्थु सिरी अपमेया सुहंकरा, भारई जयउ ॥ ७१ ॥ फ्र उवरुत्तवच्छरस्स य फग्गुणमासस्स सुद्धपक्खस्स । सोमदिवस जुत्ता तिहीऍ इ य सतमीए ॥१॥ अमरणं अमरणं समप्पिओ एस रायनयराओ । आगम्म सिद्धखेते Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जयवाओ पुज्जहत्थे ॥२॥ 'थेर भद' सिरिज बूविजय हत्थेसु' इइ नेयं ॥ मंगल महाश्रीः एतद्रचनाकर्तुः 'अमृत'स्य स्वहस्तोऽयम् ॥ || कल्याणमस्तु ॥ 5 For Private And Personal Use Only [આત્માનંદ પ્રકાશPage Navigation
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