Book Title: Ashtmangal Geet Gunjan Author(s): Saumyaratnavijay Publisher: Shilpvidhi Prakashan View full book textPage 8
________________ ३. नंद्यावर्त नमोर्हत् सिद्धाचार्योपाध्यायसर्वसाधुभ्यः । दोहा : चरमावर्त चरम शरीर, चरम जन्म उपहार | नंद्यावर्त प्रभाव से, सीमीत हो संसार ।। मंत्र : ॐ ह्रीं श्रीं अहँ नमः। सकलश्रीजैनसंघस्य सर्वतः सर्वदा सर्वप्रकारेण सुख-शांति-ऋद्धि-सिद्धि-समृद्धिश्रेयोऽर्थं नंद्यावर्तमंगलदर्शनमिति स्वाहा । * (राग-मालकोश) आनंद आनंद मंगल हो-2 निज का मंगल, पर का मंगल, संघ में मंगल, विश्व में मंगल; आनंद आनंद मंगल हो... नंद्यावर्त को भावों से बधायें, तन मन मंगल, जीवन मंगल; आनंद आनंद मंगल हो... * श्रीवत्स (तर्ज : आनंद रंग भगवंत संग...) तन मन उमंग, झूमे अंग अंग मन का मयूर हर्षाया, बाजे मृदंग, भक्ति तरंग आनंद ही आनंद छाया... महामंगलकारी जयजयकारी अवसर अनुपम आया, जैन जयति शासनम् बोलो रे जैनं जयति... नंद्यावर्त करे मंगलं, दूर करे सब अपमंगल, जिनशासन को हो वंदन, भवसागर में आलंबन, इस मंगल के पावन दर्शन, चमकायें भाग्य सितारा, दुःख संकट सारे टल जायें, जीवन में हो उजियारा, महामंगलकारी जयजयकारी अवसर अनुपम आया जैन जयति शासनम् बोलो रे जैनं जयति...Page Navigation
1 ... 6 7 8 9 10 11 12 13