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७. मीनयुगल नमोर्हत् सिद्धाचार्योपाध्यायसर्वसाधुभ्यः । दोहा : प्रीत प्रभु से मैं करूं, नीर संग ज्यु मीन । पर से नाता तोड के, चित्त प्रभु में लीन ।। मंत्र : ॐ ह्रीं श्रीं अर्ह नमः। सकलश्रीजैनसंघस्य सर्वतः सर्वदा सर्वप्रकारेण सुख-शांति-ऋद्धि-सिद्धि-समृद्धिश्रेयोऽर्थं मीनयुगलमंगलदर्शनमिति स्वाहा । * (राग-मालकोश)
आनंद आनंद मंगल हो-2 निज का मंगल, पर का मंगल, संघ में मंगल, विश्व में मंगल;
आनंद आनंद मंगल हो... मीनयुगल भावों से बधायें, तन मन मंगल, जीवन मंगल;
__ आनंद आनंद मंगल हो... * मीनयुगल (तर्ज : रुपीयो तो लेने पालीताणा)
भाव से मीनयुगल को बधाके, पावन पुण्य निधान भर लो, प्यारे प्रभुवर का ध्यान धर लो...2 मीन रहे ज्युं जल के भीतर, प्रीत हो मेरी प्रभु के ऊपर, झोली में अपनी ज्ञान भर लो...2
प्यारे प्रभुवर का.... यश सौभाग्य का नूर बढ़ाये, विघ्नसमूह को दूर भगाये, घडी-दो घडी गुणगान कर लो...2
प्यारे प्रभुवर का...