Book Title: Ashtadhyayi Padanukram Kosh
Author(s): Avanindar Kumar
Publisher: Parimal Publication

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Page 20
________________ अकः अक: - VII. 1. 112 ककार से रहित (इदम् शब्द) के (इद् भाग को अन आदेश होता है, आप् विभक्ति परे रहते ) । अकखादौ - VIII. iv. 18 (उपसर्ग में स्थित निमित्त से उत्तर) जो उपदेश में ककार तथा खकार आदिवाला नहीं है, (एवं षकारान्त भी नहीं है); ऐसे (शेष) धातु के परे रहते (नि के नकार को विकल्प से कार आदेश होता है)। अकङ् - IV. 1. 97 (सुधातृ शब्द से 'तस्यापत्यम्' अर्थ में इञ् प्रत्यय होता है, तथा (सुधातृ शब्द को अकड़ आदेश (भी) होता है। अकच् - V. iii. 71 (अव्यय, सर्वनामवाची प्रातिपदिकों एवं तिङन्तों से इवार्थ से पहले पहले) अकच् प्रत्यय होता है, (और वह टि से पूर्व होता है) । अकच्चिति - III. ili. 153 (अपने अभिप्राय का प्रकाशन करना गम्यमान हो और ) कच्चित् शब्द उपपद में न हो तो (धातु से लिङ् प्रत्यय होता है)। अकथितम् - I. iv. 51 (अपादानादि कारकों से) अनुक्त (कारक भी कर्मसंज्ञक होता है)। अकद्रवा -VI. iv. 147 कद्रू शब्द को छोड़कर (जो उवर्णान्त भसञ्ज्ञक अङ्ग, उसका तद्धित 'ढ' प्रत्यय परे रहते लोप होता है)। अकर्त्यादीनाम् - VI. ii. 87 (प्रस्थ शब्द उत्तरपद रहते) कर्त्यादिगणस्थ (तथा वृद्धसक) शब्दों को छोड़कर (पूर्वपद को आद्युदात्त होता है)। अकर्त्तरि -II. iii. 24 कर्तृभिन्न (हेतुवाची) शब्द में (ऋण वाच्य होने पर पञ्चमी विभक्ति होती है) 1 अकर्त्तरि - III. iii. 19 कर्तृभिन्न कारक में (भी धातु से संज्ञाविषय में घञ् प्रत्यय होता है)। अकर्त्तरि - V. iv. 46 (अतिग्रह, अव्यथन तथा क्षेप विषयों में वर्त्तमान तृतीयाविभक्त्यन्त प्रातिपदिक से विकल्प से तसि प्रत्यय होता है, यदि वह तृतीया) कर्त्ता में न हो तो । 2 . अकर्मक... III. iv. 72 देखें - गत्यर्थाकर्मकo III. iv. 72 अकर्मकस्य - VII. iv. 57 अकर्मक (मुच्ल) धातु को (विकल्प से गुण होता है, सकारादि सन् प्रत्यय परे रहते ) । ....अकर्मकाणाम् - I. iv. 52 देखें – गतिबुद्धिप्रत्यवसानार्थ. I. iv. 52 अकर्मकात् - I. iii. 26 (उपपूर्वक) अकर्मक (स्था) धातु से ( भी आत्मनेपद होता है)। ..... अकाभ्याम् अकर्मकात् - Iiii. 35 (विपूर्वक) अकर्मक (कृञ्) धातु से (भी आत्मनेपद होता है)। अकर्मकात् - I. iii. 45 अकर्मक (ज्ञा) धातु से (भी आत्मनेपद होता है)। अकर्मकात् – I. iii. 49 (अनु उपसर्ग से उत्तर) अकर्मक (वद) धातु से (स्पष्ट वाणी वालों के सहोच्चारण अर्थ में आत्मनेपद होता है) । अर्मकात् - I. iii. 85 (उप उपसर्ग से उत्तर) अकर्मक (रम्) धातु से (परस्मैपद होता है)। अकर्मकात् - I. iii. 88 (अण्यन्तावस्था में) अकर्मक (तथा चेतना कर्ता वाले) धातु से (ण्यन्तावस्था में परस्मैपद होता है)। अकर्मकात् - III. ii. 148 अकर्मक (चलनार्थक और शब्दार्थक) धातुओं से (तच्छीलादि कर्ता हों तो वर्तमानकाल में युच् प्रत्यय होता है)। अकर्मकेभ्यः - III. iv. 69 (सकर्मक धातुओं से लकार कर्म-कारक में होते हैं, चकार से कर्ता में भी होते हैं, और) अकर्मक धातुओं से (भाव तथा चकार से कर्ता में भी होते हैं)। अकर्मधारये - VI. ii. 130 कर्मधारयवर्जित (तत्पुरुष समास में (उत्तरपद राज्य शब्द को आद्युदात्त होता है)। अकाभ्याम् – H. ii. 15 देखें - तृजकाभ्याम् II. ii. 15 ...

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