Book Title: Aradhana Kathakosha
Author(s): Bhattarak Chandrakirti, Shantikumar Jaykumar Killedar
Publisher: Jain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
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प्रसंग बावन्नावा : ७५१
इति चार आराधना कथाकोश श्री सद्गुरू श्री पूज्य रत्नकीर्ती तत् चरणरज चंद्रकीर्ती तीर्थवासी एकशतविंशति (१२०) कथा विरचिते संपूर्ण शुभं भवतु कल्याणमस्तु जय जय शके १७४६ सत्राशे छेताळीस तारण नाम संवत्वरे मासोत्तममासे कार्तिकमासे वद्य पक्ष तिथी नवमी सोमवासरे तीर्थयात्रेस मुगतागीरीची यात्रा आनि भातकोलिची यात्रा तेथे ग्रंथ लिखित शानावरण कर्म निवारणार्थ धर्मउपदेशकारणार्थ अष्टकर्मनिवारणार्थ पंत १ बापोजी मांडवकर २ अवधूत ३ आंताजीपंत ४ चंद्रसागर ५ चंद्रकीर्ती तीर्थवासी पुढे उदंडी व्हाव ६ हे इच्छा देव पूर्ण करतील ।। चार आराधना कथाकोश गुरूप्रसाद गुरूआज्ञेन संपूर्ण समाप्त शुभं भवतु कल्याणमस्तु तथास्तु आयुदीर्घास्तु जै जै जै जै जै छ छ छ छ॥
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