Book Title: Aradhana Kathakosha
Author(s): Bhattarak Chandrakirti, Shantikumar Jaykumar Killedar
Publisher: Jain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur

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Page 785
________________ ७६० : आराधना कथाकोष विशाखदत्त विशाख्या विशाख्याचार्य विशाळ विश्वगुण विश्वदेवी विश्वभति विश्वषेण विश्वावसु विश्वभर शकटाल शतमनु शशीरमण शांतिनाथ शालिसिक्त शिवकीर्ति शिवकोटि शिवगुप्त शिवभूति शिवशर्मा शींद्र श्रीकांता श्रीकीर्ति श्रीकुमार श्रीदत्त विष्णु ६०२-२२ ३२९-४८ ५४५-६९ ४२३-३२ ३१५-३ ५६५.६० ४५३-११७ ४५३-१२३ ३४०-३ ३१५-२ २६९-४२ १५९-३ ४५९-६ ४१२-३७ ६२१-४७ ४६८-२९ ५५४-३२ ५९१-१०९ ५९४-१४१ ६०४-५१ ५९२-१२७ ६००-५ ६००-५ ५२२-१२ ५९-१० २६९-४३ ५८२-११ ४०३-६ ४२२-२४ विष्णुकुमार विष्णुदत्त विष्णमित्र वीरदत्त वीरभद्र वीरमती वीरसेन वीरसेना वीरा वृषभ वृषभदास वृषभप्रिया वृषभसेन वैजयंत वैशंपायन वैश्रवण व्यास ५९७-१७५ ६३२-१७६ २६५-६ १८०-१० ५८४-३१ १३३-१५४ ४९-३२ ५९४-१४२ २१६-४ ४४७-४३ ६३४-२०१ ५९२-१२८ १४६-२६ ४९७-३ ३२१-६९ ५४८-१०९ ६०४-५० ७०७-१३८ ५५-९५ १६१-२१ ३४०-३ १६१-२१ ३४०-३ ५१२-३ श्रीदेवी श्रीपद्मनंदी श्रीपाल श्रीभूती श्रीमती श्रीमंधर श्रीवर्धन श्रीवर्मा श्रीषण श्रीषणा शुकमुनि १६०-१९ ६८९-१२३ ४९७-३ २६९-४४ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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