Book Title: Aradhana Kathakosha
Author(s): Bhattarak Chandrakirti, Shantikumar Jaykumar Killedar
Publisher: Jain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur

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Page 797
________________ ७७२ : आराधना कथाकोष श्रावकव्रत श्रावकव्रतनेम श्राविका शीलवत शुक्लध्यान सद्गुरुराज सागर (प्रमाण) सागर (समुद्र) सागारधर्म १४४-९ १४८-४७ २६२-१७५ १६-१८ ४६-१०८ ६५-८६ ३०७-२२ १३-१३१ ९८-६९ १९२-५३ ८७-३२३ ३३८-७० १८२-३२ १-५ २८९-१२२ १९२-१५३ १५९-२ साधु सामायिक सावकीनि सारदा सिद्धसद् सिद्धपद सिद्धान्त सुदृष्टि सुस्थितिकरणांग षटकाय षटकायजीव षटकायजीवरक्षा षट्ठोपवासी समवशरण समवश्रुति समाधिमरण समिति समोशरण सरस्वती सर्वार्थसिद्धि सर्वोषधि सप्तगुण सप्तशील सप्तव्यसन १२०-५७ १५४-१४२ ७७-१२० १५१-८७ सेवड ५९-१४ २९७-३२ १५२-९९ १४४-८ १४८-४७ २९६-२८ सोळाकारण भावना सौधर्मेंद्र संग संघ संघाष्टक संजम संन्यास संवर संसृति ३९-२१ १७-२४ ५८९-८८ १४४-४ २१७-२९ १८२-३४ ४०-३६ ४३-७१ २५-११८ १११-८६ १९९-२० ३०३-१०१ ९-८७ १०२-११५ सप्तक्षेत्र सभ्यवत्व स्तुतिवंदना स्वर्ग स्वर्गभोक्ष ७७-२१७ १२-११४ ९८-६७ १४८-५५ हलधर १३१-१२७ क्षयोपशम ११-११२ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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