Book Title: Aradhana Kathakosha
Author(s): Bhattarak Chandrakirti, Shantikumar Jaykumar Killedar
Publisher: Jain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur

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Page 800
________________ संख्यानुक्रमणी समाधिमरण केवलज्ञान लोकालोक कल्पवासी-कल्पातीस अडीच द्वीप तीनगुप्ती रत्नत्रय त्रिकरण तीन शल्य तीन वेद त्रिशुद्ध तीन लोक तीन गणव्रत तीखाणी तीन गुप्ति त्रिकाल त्रिताप तुर्यसंध तुर्यदान चार आराधना चार कषाय चतुर्निकाय देव चार ध्यान चार गति चार वेद चार आर्तध्यान चार रौद्रध्यान चार धर्म्यध्यान चार शुक्लध्यान चार आश्रम चार शिक्षाक्त चातुर्मास चतुरंग सैन्य पंचामृत पंचपरमेष्ठी-गुरू पंच पंचोत्तर पंचांग ( नमोस्तु ) पंच चारित्र पंच कल्याण पंच गति पंच अणुव्रत पंच महाव्रत पंचांग ( तिथि-नक्षत्र-योग-करण) पाचखणी पाच पर्वत ( राजगृह ) पंचमेर ७७५ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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