Book Title: Anusandhan 2015 08 SrNo 67
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 3
________________ जून - २०१५ अनुसन्धान-६७ प्रक्रियाओ वाचकोनी सरळता खातर अलगथी मकी छे. आ प्रक्रियाओने ग्रन्थ साथे मेळवी जोवाथी परिभाषानो पण आपोआप ख्याल आवी शकशे. ग्रन्थकर्ता श्रीमुनिचन्द्रसूरि महाराज छे. मुनिचन्द्रसूरिजीना नामे अनेक कृतिओ नोंधायेली छे. तेमाथी कया मुनिचन्द्रसूरिजीनी कई कृति ते नक्की करवू अघरुं छे. तेथी आ कृतिना कर्ता, समय व. अने संशोधन बाकी रहे छे. ते ज रीते प्रकरणकर्ताओ कोशाधिप यशोधवलनी पुत्री रुक्मिणी श्राविकाना प्रोत्साहनथी आ कृतिनी रचना करी होवार्नु पुष्पिकामां नोंध्यु छे. आ यशोधवल श्रावक अने रुक्मिणी श्राविकानो विशेष परिचय पण शोधवो बाकी रहे छे. सम्पादन श्रीनुनिचळसूरि-प्रणीत कालविचारशतक - सं. मुनि त्रैलोक्यमण्डनविजय जैन शासनमां द्रव्यानुयोग तथा गणितानुयोग - अन्तर्गत जेम वस्तुतत्त्वने वर्णवता गहन अने विस्तृत महाग्रन्थो छे, तेम एक-बे नानां नानां विचारबिन्दुओने वर्णवतां सरळ नानकडा प्रकरणो पण छे. प्रस्तुत प्राकृत रचना पण कालनी गणना विशे थोडीक पायानी माहिती पूरी पाडतुं एक प्रकरण ज छे. जोईसकरण्डग, चन्दपण्णत्ति, सूरियपण्णत्ति, बृहत्क्षेत्रसमास, बृहत्सङ्ग्रहणी व. अनेक ग्रन्थोमां कालगणना अङ्गे विस्तृत ज्ञान पीरसायं ज छे. पण ते गम्भीर होवाथी स्थूलमति लोको समजी शकता न होवाने लीधे तेने सरल भाषामां रजू करवानो प्रकरणकर्तानो आशय छे, जे महदंशे सफल थयो छे, अत्रे नक्षत्र, चान्द्र, ऋतु, रवि अने अभिवर्द्धित ओ पांच मासचं प्रमाण, तेनी गणतरी, ओ पांच प्रकारनां वर्ष, युगगणना, अधिकमासनी उत्पत्ति, रवि-चन्द्रनी गति, क्षयतिथि आटला विषयो प्रधानपणे निरूपाया छे. आ सिवाय कालगणना अङ्गे घणुं कहेवानुं बाकी रहे छे, ते महाग्रन्थोमांथी जोई लेवानी अन्ते भलामण थई छे. सम्पादन माटे उपयोगमा लीधेली प्रत पूज्य गुरुभगवन्तना अङ्गत सङ्ग्रहनी छे. ते उपरान्त कैलाससागरसूरिज्ञानमन्दिर - कोबामांथी पण पं. श्रीहीरेनभाई दोशीना सहकारथी आ प्रकरणनी बे हस्तप्रत सांपडी हती (नं. ०६०४४ अने नं. ३५९३०). तेमनो वाचनाना स्वल्प शुद्धीकरणमां उपयोग कर्यो छे. ते माटे संस्थाना अमो आभारी कालविचारशतकगत कालगणना * काळनी गणना पांच प्रकारनी होय छे. ते दरेकमां दिवससंख्या जुदीजुदी होय छे. १ मासना दिवस १ वर्षना दिवस नाम ३० ३६० छौओ. अभिवर्द्धित सम्पादन माटे वपरायेली प्रतमा मूळ गाथाओना भावोना स्पष्टीकरण माटे अनेक ठेकाणे अङ्कसङ्ख्याओ अलग रेखाओ-विभागो दोरीने आपवामां आवी छे. तेमज तेना चारे तरफना हांसियामा अनेक टिप्पणो पण कोईक अभ्यासीओ करेला छे. आ सामग्री यथायोग्य स्थाने जोडीने अत्रे 'टिप्पण-यन्त्राणि' ओ शीर्षक नीचे आपी छे. आवां प्रकरणोमां प्राचीन गाणितिक प्रक्रिया तेमज तेनी प्राचीन परिभाषानुं पण बहुमूल्य ज्ञान मळतुं होय छे. अत्रे आ प्रकरणमा रजू थयेली गाणितिक नक्षत्रमास : अश्विनी, भरणी व. २८ नक्षत्रोने चन्द्र जेटला काळमां भोगवे, तेटलो काळ १ नक्षत्रमास गणाय छे. १५ समक्षेत्री नक्षत्रो : १ अश्विनी, २. कृत्तिका, ३. मृगशीर्ष, ४. पुष्य,

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