Book Title: Anusandhan 2011 02 SrNo 54
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 5
________________ 5 आवरणचित्र - परिचय वि.सं. १२८४मां आलिखित, 'सिद्धहेमचन्द्रशब्दानुशासन' व्याकरणनी, ताडपत्रीय पोथीगत बे चित्रो. चित्र १ श्रीसिद्धहेमव्याकरणनी पोथीने गजराज उपर स्थापीने काढवामां आवेल शोभायात्रा - वरघोडाने दर्शावे छे. तो चित्र २ (टाइटल ४) उपाश्रयमां आचार्यगुरु द्वारा अ पाठशालामां अध्यापक द्वारा थतुं सिद्धहेम० नुं अध्यापन दर्शावे छे. आ चित्रो धरावती पोथी पाटण - श्रीहेमचन्द्राचार्य ज्ञानमन्दिरमां विद्यमान छे. जो के १६-१७ वर्ष अगाऊ, आ पोथीचित्रोवाळां पानां कापीने तेमांथी ते चित्रोनी उठांतरी थई गयेली छे, अने ते बन्ने पानांना कटका ते पोथीमां पड्या छे ते सं. २०५१मां ज्ञानमन्दिरना व.क.नी उपस्थितिमां जोवा मळेलुं. ए ज वर्षे, आ चित्रो, एक प्रख्यात जैन संस्थानी प्रदर्शनीमां जोवा मळेलां; तेमज ते संस्थाना सचित्र परिचयपत्र (ब्रोशर) मां ते चित्रो मुद्रित पण थयेलां जोवा मळेलां. ते पछी पाटण - ज्ञानमन्दिरना व.क.ने जाण करीने स्व. मुनिश्रीजम्बूविजयजी-मारफते ते चित्रो पुनः मूळस्थाने प्रस्थापित थाय ते माटे प्रयत्न कर्यो हतो. परन्तु तेनुं कांई परिणाम आव्युं होय म जाणवा मळ्युं नथी. एक ऐतिहासिक दस्तावेजनो तथा पुरातन पोथीनो नाश थवानी स्थिति आ रीते सर्जाय ते केटलुं दुःखद छे ! ए संस्थाना अधिकारीओने सन्मति जागे अने ते चित्रो, जो अद्यावधि मूळ जग्याए पुन: प्रस्थापित न थयां होय तो पुनः प्रस्थापित थाय तेवी आशा सेवीए. आ बन्ने चित्रो, पूर्वे, एकाधिक स्थाने प्रकाशित छे ज. ना आधारे ज अत्रे पुनः मुद्रित करवामां आवे छे.

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