Book Title: Anusandhan 2011 02 SrNo 54
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

View full book text
Previous | Next

Page 8
________________ 8 एक कल्पनाकथानी कथा एक एवी कथा प्रबन्धादि द्वारा प्रसिद्ध छे के राजा कुमारपालनी परदुःखभञ्जननी तथा पृथ्वीने ऋणमुक्त करवानी भावनाने पूर्ण करवा माटे श्रीहेमचन्द्राचार्ये पोताना गुरु श्रीदेवचन्द्रसूरिने आमन्त्रणपूर्वक पाटण बोलाव्या अने आ प्रयोजन सिद्ध करवा माटे सुवर्णसिद्धिनी मागणी करी. त्यारे गुरु, 'तमे आ माटे अयोग्य छो' एम कही, ठपको आपी, चाल्या गया. पृथक्करण करतां आ वात दन्तकथा होवानुं जणाय छे. केम के कुमारपालने राजा तरीके स्वस्थ थतां थतां सं. १२०९ नुं वर्ष आवी गयुं हतुं. त्यारे जो गुरु जीवंत होय तो लगभग शतायु ज होय. केम के तेओ ११४० पहेलां तो आचार्य थई चुकेला. शतायु गुरुने विहार करी बोलाववानी वात असम्भवित ज दीसे छे. बीजुं, ‘जैन परम्परानो इतिहास' नोंधे छे ते प्रमाणे तो, गुरु सं. ११६७ मां प्रायः कालधर्म पाम्या छे. तो त्यारे तो कुमारपालनो परिभ्रमणकाल हतो. आम, परदुःखभञ्जन अने ते माटे गुरु पासे सुवर्णसिद्धिनी मागणीनी समग्र घटना, ए काल्पनिक कथामात्र जणाय छे. - शी.

Loading...

Page Navigation
1 ... 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 ... 209