Book Title: Anusandhan 2011 02 SrNo 54
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 147
________________ १३८ अनुसन्धान-५४ श्रीहेमचन्द्राचार्यविशेषांक भाग-२ बनावराव्या. लोकरंजन माटे नृत्य-गायन-वादन, आयोजन कर्यु. शासनना प्रथम वर्षे जनहितनां कार्योने प्राधान्य आप्या बाद पछीनां वर्षोमां ओमणे सैन्य अभियान आदर्यानी विगत निरूपित छे. प्रस्तुत अभिलेखमां तेना खास तो शासनना बीजा-चोथा-आठमा अने अगियारमा वर्षे करेल अभियानो, संक्षिप्त उल्लेख-वर्णन छे. आमां ऋषिक (मूसिक) नगर (पंक्ति ४); राष्ट्रिको अने भोजको पर (पंक्ति ६); राजगृह नजीकना गोरक्ष गिरि (गया जिल्ला स्थित बराबर नामनो पर्वत) (पंक्ति ७-८) तेमज पिएंड नगर (गोदावरी-कृष्णा नदी वच्चेना तटवर्ती प्रदेश) पर विशाळ सेना साथे आक्रमण कर्यानुं निरूपण छे. सम्भवतः अनां आ अभियानो राज्यसीमाविस्तरण माटे कोइ प्रदेशने जीती लेवाना हेतुसर नहि पण संपत्ति प्राप्त करवा अने अेक प्रकारनी सैन्यशक्तिनुं प्रदर्शन करवा समान ज होवानुं मनाय छे. अभिलेखनो आरम्भ अर्हतोने नमस्कारथी थतो होइ खारवेल निश्चित रूपे जैन-धर्मानुयायी होवानुं कही शकाय. आ उपरांत अर्हत पूजानो उल्लेख (९); जिन प्रतिमाना पूजननी वात (१२) अने अर्हतो माटे वर्षाकाळ व्यतीत करवा कुमारीपर्वत (उदयगिरि) पर आश्रय गुफाओ तैयार कराव्यानो उल्लेख स्पष्टतया तेना जैन होवानुं स्वतः सिद्ध प्रमाण गणी शकाय. आथी ज तो प्रस्तुत अभिलेखने जैन धर्मनो उल्लेख करतो प्राचीनतम पुरावो-अभिलेख मानवामां आवे छे. आ अभिलेखनी १५मी पंक्तिथी शासनना १३मा वर्षे अमणे कोइ अर्बु आयोजन करेल के जेमां देशभरना ज्ञानीओ, तपस्वीओ, ऋषिओ, अर्हतो इत्यादि अकत्र करायानुं जाणी शकाय छे. अलबत्त आ आयोजन शानुं-शा हेतुसर हतुं ते स्पष्ट थइ शकतुं नथी. सम्भवतः ते अर्हतोनी संगीति होय. ते जैन धर्मवलम्बी होवा छतां अन्य धर्मो प्रत्ये समभाव राखतो. (१७). तेनो २४मा वर्षे थयेल राज्याभिषेक वैदिक प्रथा सूचवे छे. आ उपरांत ब्राह्मणोने दान आप्या तेमज अन्य धर्मोनां देवालयो पण बंधावी आप्यां हतां. सामान्य रीते बौद्ध धर्मनी जेम जैन धर्म कोई राज्याश्रित धर्म न होवार्नु मनातुं. ने आ लेख कैंक जुएं ज प्रमाण आपे छे : खारवेल जैन धर्मी हतो ने तेनो राजधर्म पण जैन धर्म हतो. आ अभिलेखथी अक खास बाबत ओ जाणवा मळे छे के सामान्य रीते महावीर स्वामीना निर्वाण बाद ६००-७०० वर्षे जैन प्रतिमाओ बनाववानो - अने ओ रीते प्रतिमा पूजन थयानो - आरम्भ

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