Book Title: Anusandhan 2011 02 SrNo 54
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 174
________________ फेब्रुआरी २०११ १६५ beginning of the Kaliyuga. The Kali Yuga had started in the year 3102 B.C. (see Gonzalez-Reimann, p. 169). Antare caiva sampråpte kalidvåparayor iha/ samantapancake yuddham kurupåndavasenayoh// 1, 2-9-10 dvåparasya kalesh caiva samdhau paryavasånike/ prådurbhåvah Kamsahetor Mathuråyåm bhavishyati// (Gonzalez-Reimann, p. 109.) Department of South and Southeast Asian Studies 7233 Dwinellw Hall #2540 University of California, BERKELEY, CA 94720. USA आ लेखमां आपेल तारणो परत्वे बे-त्रण मुद्दाओ नोंधवा योग्य छ : १. महर्षि व्यासे महाभारत-महाकाव्यनी रचना करी, महर्षि वाल्मीकिए रामायण महाकाव्यनी रचना करी; ते सिवाय आ बन्ने महाकाव्योने अनुसरीने ज्ञातअज्ञात सेंकडो बल्के हजारो कविओए संस्कृत-बिनसंस्कृत भाषाओमां रचनाओ करी छे, जेमां उपरोक्त बन्ने कर्ताओने संमत कथाओथी अनेक स्थानोमां वाचनाभेद, परम्पराभेद तथा प्रसंगभेद आवे छे; अने विद्वज्जनो एनाथी सुपरिचित छे. शक्य छे के श्रीहेमचन्द्राचार्य समक्ष तेवी कोई रचना होय के जेमां 'अत्र भीष्मशतं दग्धं.......' व. श्लोको उपलब्ध थता होय, अने तेमांथी तेमणे राजा कुमारपालनी सभामां आ वात रजू करी होय. बीजी रीते विचारीए, तो ब्राह्मणोए श्रीहेमचन्द्राचार्यने अने विशेष तो जैनोने भोंठा पाडवा माटे राजा सिद्धराज जयसिंहने आ वातनी (पाण्डवोए दीक्षा लीधी व.) जाण/फरियाद करी अने तेनो खुलासो करवा माटे राजाए श्रीहेमचन्द्राचार्य ने सभामां बोलाव्या त्यारे श्रीहेमचन्द्राचार्य सम्प्रदायो वच्चे तिराड न पडे - वैमनस्य न थाय अने सौमनस्य वधे ए माटे समन्वय बुद्धिथी आ वात करी होय तेवं मानवं वधु उचित लागे छे.

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