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फेब्रुआरी २०११
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beginning of the Kaliyuga.
The Kali Yuga had started in the year 3102 B.C. (see Gonzalez-Reimann, p. 169).
Antare caiva sampråpte kalidvåparayor iha/ samantapancake yuddham kurupåndavasenayoh//
1, 2-9-10 dvåparasya kalesh caiva samdhau paryavasånike/ prådurbhåvah Kamsahetor Mathuråyåm bhavishyati//
(Gonzalez-Reimann, p. 109.)
Department of South and Southeast Asian Studies
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आ लेखमां आपेल तारणो परत्वे बे-त्रण मुद्दाओ नोंधवा योग्य छ : १. महर्षि व्यासे महाभारत-महाकाव्यनी रचना करी, महर्षि वाल्मीकिए रामायण
महाकाव्यनी रचना करी; ते सिवाय आ बन्ने महाकाव्योने अनुसरीने ज्ञातअज्ञात सेंकडो बल्के हजारो कविओए संस्कृत-बिनसंस्कृत भाषाओमां रचनाओ करी छे, जेमां उपरोक्त बन्ने कर्ताओने संमत कथाओथी अनेक स्थानोमां वाचनाभेद, परम्पराभेद तथा प्रसंगभेद आवे छे; अने विद्वज्जनो एनाथी सुपरिचित छे. शक्य छे के श्रीहेमचन्द्राचार्य समक्ष तेवी कोई रचना होय के जेमां 'अत्र भीष्मशतं दग्धं.......' व. श्लोको उपलब्ध थता होय, अने तेमांथी तेमणे राजा कुमारपालनी सभामां आ वात रजू करी होय. बीजी रीते विचारीए, तो ब्राह्मणोए श्रीहेमचन्द्राचार्यने अने विशेष तो जैनोने भोंठा पाडवा माटे राजा सिद्धराज जयसिंहने आ वातनी (पाण्डवोए दीक्षा लीधी व.) जाण/फरियाद करी अने तेनो खुलासो करवा माटे राजाए श्रीहेमचन्द्राचार्य ने सभामां बोलाव्या त्यारे श्रीहेमचन्द्राचार्य सम्प्रदायो वच्चे तिराड न पडे - वैमनस्य न थाय अने सौमनस्य वधे ए माटे समन्वय बुद्धिथी आ वात करी होय तेवं मानवं वधु उचित लागे छे.