Book Title: Anusandhan 2010 09 SrNo 52
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 116
________________ सप्टेम्बर २०१० १६ ४ ( उपरथी) १८ १ (नीचेथी) १९ ४ (उपरथी) १६ (उपरथी) ४ (उपरथी) 2 x 10 10 nm १९ २४ २४ ६ (उपरथी) जो उं तमसे बाडुड़ उ जेम तीखा पाणो नरमाइ जोहो वे जो उत्तमसे (?) (?) ऊजडे तीखापणो नरमाइ जो होवे १०५ ‘जिनसागरसूरिगीतानि' ना सम्पादके कृतिना नायक तथा कृतिना रचयिता विशे ऐतिहासिक माहिती एकत्र करीने मूकी छे. गीतोमां आचार्य प्रत्येनो कविनो अहोभाव - आदर प्रखर रूपे व्यक्त थयो छे. पृ. ३१, पं. ८मां 'गयण च' छे, त्यां ‘गयण न' होवुं घटे. पृ. ३२, पं. ७मां 'लीछउ' नहि पण ‘लीधउ' जोईए. पृ. ३२, पं. १२मां 'महावय सागी' एम छे, त्यां 'महा वयरागी' हशे एम तरत जणाइ आवे छे. पृ. ३३, पं. (नीचेथी) २ मां 'आवर' छे, पण ‘आवइ' होवुं जोइए. सम्पादके थोडुंक ध्यान वधारे आप्युं होत तो आवी वाचनभूलो निवारी शकाई होत. 'भावलक्ष्मी धुलबन्ध' ए एक साध्वीवर्यना गुणगान करती रचना छे. काव्यमां साध्वी भावलक्ष्मी प्रत्ये जे आदर व्यक्त थयो छे ते परथी ए साध्वी भगवन्त असाधारण व्यक्तित्व धरावता हशे एवं समजी शकाय छे, परन्तु कविए साध्वीजीना जीवनप्रसंगो के कार्यकलापनी विगतो आपी नथी. सीधपुर ए सिद्धपुर (पाटण) ज छे के केम ते विशे सम्पादकने शंका छे पण काव्यमां 'सरसति नदी जिहां वहए' एवो सन्दर्भ छे ज, तेथी पाटण पासेनुं सिद्धपुर ज छेए निश्चित छे. 'हंसराज पोसालधुलबन्ध' एक दस्तावेजी रचना छे. गन्धारबन्दरनी उन्नत स्थितिना समये बंधायेल पौषधशाळाना निर्माणकर्ता संघपति हंसराजनी धर्मभावना-कार्यकुशलता - शक्ति आदिथी कवि खूब प्रभावित छे. सम्पादकश्रीए पूरक विगतो एकत्र करीने मूकी छे. जो के आ. रत्नसिंहसूरि विशे पूरक माहिती मळी शकी नथी एम लागे छे. अमदावादनुं साडा त्रणसो वर्ष पूर्वेनुं एक गिरोखत आ अंकमां अपायुं

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