Book Title: Anusandhan 2010 09 SrNo 52
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
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अनुसन्धान ५२
विगतो, उपयुक्त चर्चाविचारणा सह, आमां अपाइ छे.
पूज्यपाद श्रुतस्थविर श्री जम्बूविजयजी महाराजने श्रद्धाञ्जलि रूपे थोडा लेखो आ अंकना छेडे अपाया छे. पू. श्रुतस्थविरश्रीए पू. आगमप्रभाकरश्री पुण्यविजयजी म.ना गुणानुवाद रूपे लखेल लेख - जे श्री जम्बूविजयजी म. द्वारा लखायेलो अन्तिम लेख छ - पण आमां छे. आगमप्रभाकर श्रीए अने श्रुतस्थविरश्रीए करेल संशोधन-वाचनाओ-परिमार्जनोनो उपयोग कर्या वगर हवे ते ते आगमो-शास्त्रोना आडेधड मुद्रण थवा जोईए नहि - आटलुं तो ए शोधक प्रतिभाओना सन्मान अर्थे थर्बु ज जोईए..
जैन देरासर नानी खाखर - ३७०४३५
जि. कच्छ, गुजरात

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