Book Title: Anusandhan 2010 06 SrNo 51 Author(s): Shilchandrasuri Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad View full book textPage 3
________________ निवेदन अनुसन्धाननी यात्रानो आ एकावनमो पडाव छे. आ अंकमां पूर्व प्रकाशित १ थी ५० अंकोनी सामग्रीनी वर्गीकृत सूचिओ आपवामां आवी छे. सूचि ए संशोधन माटेनुं एक महत्त्वपूर्ण सन्दर्भ - साधन छे. कृति विषे, कर्ता विषे, कृति क्यां-क्यारे प्रगट-अप्रगट ते विषे जाणकारी मेळववानुं सूचि ए श्रेष्ठ साधन छे. संशोधको माटे तो मोटा आशीर्वादरूप ज ते गणाय. अहीं आपेल सूचि कर्तावार, कृतिवार, विषयवार एम विविध प्रकारे तैयार करवामां आवेल छे. ओना परथी 'अनुसन्धाने' ५० पडावोमां केवुं - केटलुं प्रदान कर्तुं छे तेनो विगतपूर्ण आलेख अवश्य मळी रहेशे. आ सूचिओ तैयार करवानुं कंटाळाजनक बनी रहे तेवुं काम मुनिश्री धर्मकीर्तिविजयजी तथा मुनिश्री त्रैलोक्यमण्डनविजयजीए करी आप्युं छे. आ अंकनुं प्रूफवाचन पण तेओए ज करेल छे. 'अनुसन्धान' नी घणी घणी मर्यादाओ छे. ते विषे तेमज केटलीक त्रुटिओ विषे ते सम्पूर्ण सभान छे ज. तेम छतां, तेनी आ शोध - यात्रा धीमी पण अविरत गतिए चालु रही शकी छे, ते मोटुं समाधान छे. अस्तु. - शी. —Page Navigation
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