Book Title: Anusandhan 1999 00 SrNo 13
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 53
________________ 48 च्यवन कल्याणक दिशिकुमरी अवधिनाण सूतिघर योजनमित्त पूर्वरुचक दक्षिणरुचक नालच्छेदनि किरिया तीर्थंकरना आत्मानुं स्वर्गमांथी अवतरण. 'दिक्कुमारी' - ए नामे प्रसिद्ध देवीओ छे. पांच ज्ञान पैकी त्रीजा ज्ञाननाम. प्रसूति पछीनी क्रिया करवा माटे बनावेलुं घर. १ योजन जेटली पूर्वदिशानो रुचक नामनो पर्वत. दक्षिण रुचक पर्वत नवजात शिशुनी डूंटी परनी नाल छेदवानी क्रिया. खाडो करी (तेमां नाळ पधरावी) तेने रत्नोथी पूरी देवानी क्रिया. ते नामनो देव तथा ते नामनुं देव विमान ते नामनो आठमो द्वीप ते नामनी विद्या, जेना प्रभावे बधां उंघी ज जाय. बाल तीर्थंकरनी प्रतिकृति. मेरु पर्वत परना वननुं नाम. सौधर्मइंद्र. वृषभ-बळद तीर्थंकरने जन्मतां ज प्राप्त थती ४ अलौकिक विशिष्टताओ. खांनि रतनपूरीत पालक नंदिस्वर अवस्वापिनि प्रतिबिंब पंडुकवन सोहम वसह अतिसय सहजना Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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