Book Title: Antkruddashanga Sutram
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 353
________________ मुनिकुमुदचन्द्रिका टीका, रामकृष्णाचरितम् . . २८१ . करेइ, करित्ता सबकामगुणियं पारेइ, पारित्ता अटारसमं करेइ, करित्ता सबकामगुणियं पारे । तइया लया ॥३॥ चोदसमं करेइ, करित्ता सबकामगुणियं पारेइ, पारित्ता सोलसमं करेइ, करित्ता सबकामगुणियं पारेइ, पारिता अट्ठार- समं करेइ, करित्ता सबकामगुणियं पारेइ, पारिता वीसइमं - करेइ, करित्ता सबकामयुणियं पारेइ, पारित्ता दुवालसमं - करेइ, करित्ता सबकामगुणियं पारेइ। चउत्थी लया ॥४॥ अद्वारसमं करेइ, करित्ता सबकामगुणियं पारेइ, पारिता ... वीसइमं करेइ, करित्ता सबकामगुणियं पारेइ, पारित्ता दुवा लसमं करेइ, करिता सबकामणियं पारेइ, पारित्ता चोदसमं करेइ, करिता सबकामगुणियं पारेइ, पारिता सोलसमं करेइ, करित्ता सबकामगुणियं पारेइ । पंचमी लया ॥५॥ एकाए कालो छम्मासा वीस य दिवसा, चउण्हं कालो दो वरिसा दो मासा वीस य दिवसा सेसं तहेव, जहा काली जाव सिद्धा ॥ सू० १४ ॥ .... [रामकण्हानामगं अट्ठमं अज्झयणं समत्तं ] . .. .... ॥टीका ॥ .. 'एवं' इत्यादि । 'एवं रामकण्णा वि' एवं रामकृष्णाऽपि-रामकृष्णाया अपि निष्क्रमणं पूर्वोक्तप्रकारेण विज्ञेयम् । परं 'णवरं' अयं विशेषः, एषा - अब आठवाँ अध्ययन कहते हैं जम्बूस्वामीने सुधर्मास्वामी से पूछा-हे आर्य ! अन्तकृत के अष्टम वर्ग के सातवें अध्ययन का भाव आपके मुख से सुना, 'अब मैं आठवा अध्ययन का भाव सुनना चाहता हूँ। हुवे माभुमध्ययन ४९ छ-भूस्वाभाय सुधास्वामीन :पूछ्यु:-3 माय ! અન્તકૃતના આઠમા વર્ગના સાતમા અધ્યયનને ભાવ આપના મુખેથી સાંભળે, હવે હું આઠમા અધ્યયનને ભાવ સાંભળવા ચાહું છું. -

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