Book Title: Anjana Pavananjaynatakam
Author(s): Hastimall Chakravarti Kavi, Rameshchandra Jain
Publisher: Gyansagar Vagarth Vimarsh Kendra Byavar
View full book text
________________
तुम्हारे संकल्पों से आगे वर्तमान जिसे आज दोनों भुजाओं से गाद अलिक्षित किया वह स्वयं तुम्हारे निजी भाग्य से वृद्धि को प्राप्त हो रही है । साक्षात् यह प्राणनाथ हो गई है। 157॥
(उठकर आलिङ्गन करता है)। अंजना - (आँखों में आंसू भरकर) आर्यपुत्र की जय हो । वसन्तमाला - स्वामी की जय हो । पवनजय - (मुस्कराकर) वसन्तमाला तुम दोनों यहां कैसे आ गर्यो ? वसन्तमाला - स्वामी, इतने काल तक महाराज प्रतिसूर्य इस वन में युवराज्ञी के प्रसव करने
पर तुम्हारे महाभाग्यशाली पुत्र के साथ हमें लेकर अपने हनूरुह द्वीप जाकर,
वहीं पर ठहराकर स्थित हैं। पवनंजय - (हर्ष पूर्वक) इस समय अंजना पुत्र कहा है ? वसन्तमाला - स्वामी, विजयार्द्ध जाकर पहोत्सव पूर्वक पुत्र का प्रथम दर्शन करना चाहिए,
इस कारण महाराज प्रतिसूर्य पुत्र को नहीं लाए । इस समय महाराज प्रतिसूर्य ने तुम्हारा वृत्तान्त कहकर युवराज्ञी को लेकर यहाँ आकर चन्दनलता के गृह
में हम लोगों को प्रविष्ट करा दिया ।। पवनंजय - . (हर्ष पूर्वक) माननीय वे प्रतिसूर्य कहाँ हैं ? वसन्तमाला - हमारे यहाँ पर पूर्वोपकारी गन्धर्वराज मणिचूड को तुम्हारे दर्शनार्थ बुलाने के
लिए उनके आवास इसी रत्नकूट पर्वत पर आरूढ़ हो गए हैं ।
(सामने निर्देश कर) ये उसके साथ ही आ रहे हैं । पवनंजय - जिस महास्मा ने नमिवंश की प्रत्यबस्थापना की । हे दुर्वल शरीर वाली, उन
तुम्हारे मामा को देखते हैं 1581
(सभी चले जाते हैं) श्री इस्तिमल्ल विरचितऽजना पवनंजय नामक नाटक में षष्ठ अङ्क समाप्त हुआ ।
अथ् सप्तमोऽङ्क
(ततः प्रविशत्यलङ्कृतो विदूषकः) विदूषक - (अपने आपको देखकर) इन भूषण और रत्नों के प्रकाश के कारण चमकीले
अङ्गों को किसे दिखलाकर प्रशंसा करूं (सामने देखकर) यह वसन्तमाला इघर आ रही है। इसे दिखलाता हूँ।
(प्रवेश करके) वसन्तमाला - ओह, यह बेमेल भूषणों की प्रभा से भयङ्कर अङ्गवाला आर्य प्रहसित आ
रहा है। विदूषक - (समीप में जाकर) माननीय बसन्तमाला, मेरे रूप सौभाग्य को देखो । वसन्तमाला - (मुस्कराकर) आर्य, विसने इसका इस प्रकार प्रसाधन किया । विदूषक - . माननीय यह अरिदम, प्रसन्न कीर्ति प्रमुख अञ्जना के माईयों ने मित्र के
यौवराज्याभिषेक कल्याण में (उत्सव में),जमाई का प्रिय मित्र है, ऐसा मानकर इस प्रकार प्रसाधन किया है ।