Book Title: Anekant Ras Lahari
Author(s): Jugalkishor Mukhtar
Publisher: Veer Seva Mandir

View full book text
Previous | Next

Page 29
________________ अनेककान्त-रस-लहरी तो तुम्हारा अन्नका सब स्टाक जब्त कर लिया जायगा, तुम्हारे ऊपर इनकमटेक्स दुगुना-चौगुना कर दिया जायगा और भी अनेक कर बढ़ा दिये जायेंगे अथवा डिफेंस श्राफ इंडिया ऐक्टके अधीन तुम्हारा चालान करके तुम्हें जेल में डाल दिया जायगा, तुम्हारी जायदाद जब्त करली जायगी और तुम जेल में पड़े २ सड़ जाओगे।' और इस लिये उसने धमकीके भयसे तथा दबावसे मजबूर होकर वह दान दिया है। (२) दूसरेने इस इच्छा तथा आशाको लेकर दान दिया है कि उसके दानसे गवर्नर साहब या कोई दूसरे उच्चाधिकारी प्रसन्न होंगे और उस प्रसन्नताके उपलक्षमें उसे ऑनरेरी मजिष्ट्रट या रायबहादुर-जैसा कोई पद प्रदान करेंगे अथवा उसके बढ़ते हुए करोंमें कमी होगी और अमुक केसमें उसके अनुकूल फैसला हो सकेगा। (३) तीसरेने कुछ ईषो भाव तथा व्यापारिक दृष्टिको लक्ष्यमें रख कर दान दिया है । उसके पड़ौसो अथवा प्रतिद्वंद्वीने ५० हजारका अन्न दान किया था, उसे नीचा दिखाने, उसकी प्रतिष्ठा कम करने और अपनी धाक तथा साख जमा कर कुछ व्यापारिक लाभ उठानेकी तरफ उसका प्रधान लक्ष्य रहा है । (४) चौथेका हृदय सचमुच अकाल-पीड़ितोंके दुखसे द्रवीभूत हुआ है और उसने मानवीय कर्तव्य समझकर स्वेच्छासे विना किसी लौकिक लाभको लक्ष्यमें रक्खे वह दान दिया है । बतलाओ इन चारों में बड़ा दानी कौनसा सेठ है ? और जिस अन्नदानीको तुमने अभी बड़ा दानी बतलाया है वह यदि इनमेंसे पहले नम्बरका सेठ हो तब भी क्या वह उस दानीसे बड़ा दानी है जिसने स्वेच्छासे विना किसी दबावके घायल सैनिकोंकी बुरी हालतको देख कर उन पर रहम खाते हुए और उनके अपराधादिकी बातको भी ध्यानमें न लाते हुए उनकी महमपट्टीके लिये दो लाख रुपयेका दान दिया है ?'

Loading...

Page Navigation
1 ... 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49