Book Title: Anekant Ras Lahari
Author(s): Jugalkishor Mukhtar
Publisher: Veer Seva Mandir

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Page 32
________________ बड़ा दानी कौन ? भी उसका मूल्य अधिक है और उसके दानकी विधि-व्यवस्थाने तथा पात्रोंके ठीक चुनावने उसका मूल्य और भी अधिक बढ़ा दिया है । वह ऐसी स्थितिमें यदि एक लाख नहीं किन्तु अर्धेलाख भी दान करता तो भी उसका मूल्य उस चौथे नम्वरवाले सेठके दानसे बढ़ा रहता; क्योंकि दानका मूल्य दानकी रकम अथवा दान द्रव्यकी मालियत पर ही अवलम्बित नहीं रहता, उसके लिये दान-द्रव्यकी उपयोगिता, दाताके भाव तथा उसकी तत्कालीन स्थिति, दान की विधि-व्यवस्था और जिसे दान दिया जाता है उसमें पात्रत्वादि गुणोंके संयोगकी भी आवश्यकता होती है । विना इनके यों ही अधिक द्रव्य लुटा देनेमे बड़ा दान नहीं बनता। सेठ धनीरामके दानमें बड़ेपनकी इन सब बातोंका संयोग पाया जाता है, और इस लिये उसके दानका मूल्य करोड़पति सेठ नं. ४ के दानसे भी अधिक होनेके कारण वह उक्त सेठ साहब की अपेक्षा भी बड़ा दानी है।' मैं समझता हूँ अब तुम इस बातको भले प्रकार समझ गये होगे कि समान रकम अथवा समान मालिगतके द्रव्य का दान करनेवाले सभी दानी समान नहीं होते-उनमें भी अनेक कारणोंसे छोटा-बड़ापन होता है; जैसा कि दो लाखके अनेक दानियोंके उदाहरणोंको सामने रख कर स्पष्ट किया जा चुका है। अतः समान मालियतके द्रव्य का दान करने वालोंको सवथा समान दानी समझना 'एकान्त' और उन्हें विभिन्न ष्टियोंसे छोटा-बड़ा दानी समझना 'अनेकान्त' है। साथ ही, यह भी समझ गये होगे कि जिस चीजका मूल्य रुपयोंमें नहीं आँका जा सकता उसका दान करनेवाले कभी कभी बड़ी बड़ी रकमोंके दानियोंसे भी बड़े दानी होते हैं। और इस लिये बड़े दानीकी जो परिभाषा तुमने बांधी है, और जिसका एक अंश (परिभाषा

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