Book Title: Anekant Ras Lahari
Author(s): Jugalkishor Mukhtar
Publisher: Veer Seva Mandir

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Page 38
________________ षड़ा और छोटा दानो मिलकर सन जिलाधीशके नामपर एक हस्पताल (चिकित्सालय) खोलने के लिये पाँच लाखका दान किया है और वे जिलाधीशकी सिफारिश पर रायबहादुर तथा श्रानरेरीमजिस्ट्रेट बना दिये गये हैं। इसी तरह हमें चार ऐसे दानी सज्जनोंका भी हाल मालूम है जिन्होंने दस दस हजारका ही दान किया है। उनमेंसे (१) एक तो हैं सेठ दयाचन्द, जिन्होंने नगरमें योग्य चिकित्सा तथा दवाई. का कोई समुचित प्रबन्ध न देखकर और साधारण गरीब जनता. को उनके अभावमें दु:खित एवं पीड़ित पाकर अपनी निजकी कमाईमेंसे दस हजार रुपयें दानमें निकाले हैं और उस दानकी रकमसे एक धर्मार्थ शुद्ध औषधालय स्थापित किया है, जिसमें गरीब रोगियोंकी सेवा-शुश्रूषापर विशेष ध्यान दिया जाता है और उन्हें दवाई मुस्त दी जाती है । सेठ साहब औषधालयकी सुव्यवस्थापर पूरा ध्यान रखते हैं और अक्सर स्वयं भी सेवाके लिये औषधालयमें पहुँच जाया करते हैं । (२) दूसरे सेठ शानानन्द हैं, जिन्हें सम्यग्ज्ञान-वर्धक साधनोंके प्रचार और प्रसारमें बड़ा आनन्द पाया करता है। उन्होंने अपनी गाढ़ी कमाईमेंसे दस हजार रुपये प्राचीन जैनसिद्धान्त ग्रन्थोंके उद्धारार्थ प्रदान किये हैं और उस द्रव्यकी ऐसी सुव्यवस्था की है जिससे उत्तम सिद्धान्त-प्रन्थ बराबर प्रकाशित होकर लोकका हित कर रहे हैं। (३) तीसरे सजन लाला विवेकचन्द हैं, जिन्हें अपने समाजके बेरोजगार (आजीविका-रहित) व्यक्यिोंको कष्टमें देखकर बड़ा कष्ट होता था और इस लिये उन्होंने उनके दुःख-मोचनार्थ अपनी शुद्ध कमाईमेंसे दस हजार रुपये दान किये हैं । इस द्रव्यसे बेरोजगारोंको उनके योग्य रोजगारमें लगाया जाता है-दुकानें खुलवाई जाती हैं, शिल्पके साधन जुटाये जाते हैं, नौकरियाँ

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