Book Title: Anekant 1954 03
Author(s): Jugalkishor Mukhtar
Publisher: Jugalkishor Mukhtar

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Page 20
________________ ३२० ] धर्मशाला में थोड़ेसे स्थानमें रात्रिको विश्राम करना पड़ा; क्योंकि धर्मशाला अन्य यात्रियोंसे भरी हुई थी, उनके शोरोगुलसे रात्रिमें नींद नहीं आई, फिर भी प्रातः काल चार बजे उठ कर चल दिये, और रास्ते में भोजनादि कार्योंसे उन्मुक्त हो कर २|| बजेके करीब हम लोग पहुंचे। अनेकान्त [ किरण १०. दशा हूमड़, पंचम कासार आदि जातियोंके लोग पाये जाते हैं। शहर में दो दिगम्बर जैनमंदिर हैं जिनमें पार्श्वनाथकी मूलनायक प्रतिमा विराजमान हैं। हम लोगोंने उनकी सानन्द बन्दना की । बीजापुरसे दो मील दूरी पर जमीनमें गड़ा अति प्राचीनकालीन कलाकौशल सम्पन्न भगवान पार्श्वनाथका मंदिर मिला था । उसमें भगवान पार्श्व नाथकी लगभग एक हाथ ऊँची १०८ सर्प फणों से युक्त पद्मासन मूर्ति विराजमान है । उसके सिंहासन पर कनड़ी भाषामें एक शिलालेख उत्कीर्ण किया हुआ है; परन्तु उसके अक्षर अत्यन्त घिस जाने से पढ़ने में नहीं आते । बीजापुरके पंच ही उक्त मन्दिरकी पूजाका प्रबन्ध करते हैं । बीजापुर - बम्बई अहाते के दक्षिणी विभागका एक प्राचीन प्रसिद्ध नगर था । इसे पूर्व समय में 'विजयपुर ' नाम से पुकारा जाता था ईसाकी द्वितीय शताब्दी में इस नगर पर बादामी राष्ट्रकूट राजाओंका सन् ७६० ६७३ तक अधिकार रहा है। उनके बाद सन् १७३ से १९६० तक कलचुरी राजाओंका और होसाल वंशके यशस्वी राजा बल्लालका अधिकार रहा है । जिनमें दक्षिणी बीजापुरमें सिंदा राजाओंने सन् १९२० से १९८० तक शासन किया है। इनमें अधिकांश राजा जैनधर्म प्रिय थे— उनकी जैन धर्मपर आस्था और प्रेम था, यही कारण है कि इनके समय में इस प्रान्तमें सैकड़ों जैन मंदिर बने थे परंतु आज उन मंदिरोंके प्राचीन खंडहरात और अनेक मूर्तियाँ मूर्ति-लेखोंसे अंकित पाई जाती हैं | और सन् १९७० से १३वीं शताब्दी तक यादव वंशके राजाओंने मुसलमानों के आक्रमण से पूर्व तक राज्य किया है। मुसलमान बादशाहोंमें सबसे पहले अलाउ द्दीन खिलजीने देवगिरि पर हमला किया था । और वहां से बहुमूल्य सम्पत्ति रत्न जवाहिरात और सोना वगैरह लूट कर लाया था इसने यादव वंशके नवमें राजा रामदेवको परास्त किया था । सन् १६८६ ई० में ओरंगजेबने बीजापुर पर कब्जा कर लिया। इसने इस प्रान्तके अनेक मन्दिरोंको धराशायी करवा दिया और मूर्तियोंको खंडित करवा दिया। बीजापुरके मुसलमानों के सातवें बादशाह मुहम्मद आदिल शाहने एक मकबरा बनवाया था जो‘गोल गुम्बज' के नामसे आज भी प्रसिद्ध है । इसमें आवाज लगानेसे जो प्रतिध्वनि निकलती है वह बड़ी आश्चर्यजनक प्रतीत होती है इसी कारण इसे 'बोली गुम्बज' भी कहा जाता । मुसलमानों बाद बीपुर पर महाराष्ट्रों का अधिकार हो गया और उनके बाद अंग्रेजोंका शासन रहा 1 Jain Education International मुसलमानोंके शासन काल में दर्शनीय पुरातन जैन मन्दिरों को ध्वंस करा दिया था और मूर्तियोंको अखण्डितदशामें चन्दा बावड़ीमें फिकवा दिया गया था । किलेमें जो जैन मूर्तियाँ मिली थीं उन्हें और बावड़ी वाली मूर्तियों को अंग्रेजोंने बोली गुम्बज वाले पुरातन संग्राहलय में रखवा दिया था । संग्राहलयकी मूर्तियोंमें से एक मूर्ति काले पाषाणकी है जो करीब तीन हाथ ऊँची होगी। इस मर्निके आसनमें जो लेख अंकित है वह संवत् १२३२ का है यह लेख मैंने उसी समय पूरा नोट कर लिया था; परन्तु वह यात्रामें इधर उधर हो गया, इसी कारण उसे यहाँ नहीं दिया जा सका । बीजापुर में मुसलमानोंकी दो मस्जिदें हैं, जो पुरानी मस्जिद और जुम्मा मस्जिद के नामसे पुकारी जाती हैं । कहा जाता है कि ये दोनों ही मस्जिदें हिन्दू और जैन मन्दिरोंको तोड़ कर उनके पत्थरों और स्तम्भोंसे बनाई गई हैं। पुरानी मस्जिदके मध्यकी लेन उत्तरी बगलके पास नक्कासीदार एक काले स्तम्भ पर कनाड़ी अक्षरों में संस्कृतका एक शिला लेख अंकित है इतना ही नहीं किन्तु चारों ओरके अन्य कई स्तम्भों पर भी संस्कृत और कनड़ीमें लेख उत्कीर्ण हैं उनमें एक लेख सन् १३२० ई० का बतलाया जाता है। इन सब उल्लेखोंसे यह स्पष्ट जान पड़ता है कि उक्त शिलालेख वाले पुरातन जैन पाषाण स्तम्भ जैन मन्दिरों के हैं। इस तरह जैनियोंके धार्मिक स्थानोंका मुसलमानोंने विध्वंस किया, बीजापुरमें जैनियोंके पच्चीस तीस घर हैं जिनमें है । परन्तु जैनियोंने आज तक किसीके धार्मिक स्थानों. For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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