Book Title: Anekant 1952 Book 11 Ank 01 to 12
Author(s): Jugalkishor Mukhtar
Publisher: Veer Seva Mandir Trust
View full book text
________________
४०६]
अनेकान्त
[किरण १२
.
(५) १५३५ श्री मूलसंधे भट्रारक श्रीभूवनकीर्ती तत्प
भार्या सीता सुत मधान भार्या महणसिरि । भहारक श्री शानभूषण उपदेशात् । प्रतिमाके
प्रतिमा-चौवीस तीर्थरोंकी सप्तधातुकी। के खके ऊपर से. ठाकरसी लिखा हुआ है प्रतिमा
x ३ शामिल है खद्गासन धातुकी । ३॥x २ (१७), वैशाख सुदि ५ काष्ठासंधे भ० गुणभद्रदेव (१) १९४५ मा. श्री पुत्र शाहन पा० पुजा प्रतिमा
सा लूणा सुत तिहुणा । प्रतिमा २४ तिर्थरों पाश्वनाथ, सप्तधातु की । ३॥४२॥
सप्तधातुकी। ॥x ॥ (७) १९५८ बैशाग्य सुदि ३ श्री मूलसंधे भ. श्री जिन- (१८) १५०० माह सुदि १५ भागेके अक्षर घस गये तथा चन्द्र देवा साहु जीवराज पापड़ीवाल नित्यं
संवत्के अंकभी घिस गये।) प्रतिमा-पार्श्वप्रगामति सौख्यं शहर मुडासा श्री राजा
नाथ, धातुकी। Ix॥ स्योसिंध रावल, प्रतिमा पार्श्वनाथ, धातुकी। (18) १९५२ जेठ सुदि १२ वै० स० पु. भ. जिनचन्द्राय
२॥४ ॥
त्रिवेदी सामदेवा. द. रा. लोसायस २ (6) १५४८ लेख उपर मुजब ।
प्रतिलनेचषु प्रतिमा-३ भगवान का सामिल प्रतिमा पार्श्वनाथकी श्वेत पाषामाकी
सप्तधातुकी खङ्गामन, चिन्ह नहीं । ३॥४२॥ १४॥x. यह प्रतिमा मूलनायक प्रतिमा श्री (२०) १६८९ कातिक सुदि.१५ परतू कासलीवाल पार्श्वनाथकी खंडित हो जानेसे पटनासे
प्रतिमा-पार्श्वनाथकी सप्तधातुकी I४॥ मंगाई गई । खंडित प्रतिमाका लेख इस मुजब (२१) १७०३ बैशाख सुदि ३ श्री मूलसंधे भ. जगतकीर्ती था 'सं० १८५१ जेठ सुदि ५ भ० सुरेंद्रकीर्ती
श्री खंडेला विभवर्गे श्री मोहनदास भैसा उपदेशेन रामचंद दीवान प्रतिष्ठा कराई।
नित्यं प्रणमति । प्रतिमा - चौबीस तीर्थङ्करोंकी (6) १५४८ लेख ऊपर मुजब । प्रतिमा चन्द्रप्रभुकी श्वेत
सप्तधातुकी ४२ पाषाण की। १७४१४
(२२) १७११ मगसरवदि ११ शुक्रवार प्रतिष्ठायां साहु माधौ (१०), लेख ऊपर मुजब । प्रतिमा शांतिनाथकी श्वेत
प्रतिमा-पार्श्वनाथकी सप्तधातुकी ३४२॥ पाषाणकी। १०x१४
(२३) १७१५ फागन सुदि ३ श्री काष्ठासंघे भ. श्री भुवन(११), लेख ऊपर मुजब । प्रतिमा पार्श्वनाथकी काले
कीर्ती प्र. सा. केवल ना । प्रतिमा पार्श्वनाथपाषाणकी। .xn
की धातु की ३३४१॥ वैशाग्व सुदि ३ भ. सुरेन्द्रकीर्ती प्रतिष्ठा (२४) १७२२ पं. चर्तुभुज नित्यं प्रणमति । प्रतिमा पार्श्वकरीत, सा• पापड़ीवाल सरमदास ।
नाथकी धातुकी २॥४२ प्रतिमा मल्लिनाथ श्वेत पाषाणकी १४४६ (२३) शके १५८८ माह वदि ६ नाव प्रतिष्ठा भेषदयासु । (१३), लेख उपर मुजब । प्रतिमा मल्लिनाथ श्वेत
प्रतिमा पार्श्वनाथकी सप्तधातुकी दो यंत्र पाषायकी।.x15
सुधा ३॥४२॥ लेख ऊपर मुजब । प्रतिमा अरिहंत, श्वेत (२६) १७७७ कातिक सुदि ३ भ. देवेन्द्रकीर्ती प्रतिष्ठापितं । पाषाणकी खड्गासन । १५४६
प्रतिमा-चन्द्रप्रभुकी श्वेत पाषाणकी ८४. लेख ऊपर मुजब । प्रतिमा अरिहंत, श्वेत (२७), लेख ऊपर मुजब । प्रतिमा चन्द्रप्रभुकी श्वेत पाषाणकी खड्गासन | १५४६
पाषाणकी Euxo . (१०), वैशाख सुदि बु. श्री मूलसंघे भ. श्री जन- (२८), लेख अपर मुजब । प्रतिमा प्रादिनाथकी श्वेत
चन्द्रदेवा तदाम्नाये खंडयाला साह तंगज - पाषाणकी Eux.
FHHHHHHH

Page Navigation
1 ... 457 458 459 460 461 462 463 464 465 466 467 468 469 470 471 472 473 474 475 476 477 478 479 480 481 482 483 484